माता मनसा देवी मंदिर का इतिहास क्या आप जानते हैं, पौने दो सौ साल पहले हुआ मंदिर का निर्माण

Tuesday, Mar 28, 2017 - 03:28 PM (IST)

Mata Mansa Devi Mandir : पंचकूला स्थित सतयुगी सिद्ध माता मनसा देवी का मंदिर का इतिहास बड़ा ही प्रभावशाली है। माता मनसा देवी मंदिर में चैत्र और आश्विन मास के नवरात्रों में मेला लगता है। जिसके चलते यहां लाखों की तादाद में श्रध्दालु आते हैं। यहां लोग माता से अपनी मनोकामना को पुरा करने के लिए आशिर्वाद लेते हैं। माना जाता है कि माता मनसा देवी से मांगी गई हर मुराद माता पूरी करती है। 

 

मनसा मंदिर को पौने दो सौ साल पहले राजा ने बनवाया था


माता मनसा देवी का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि अन्य सिद्ध शक्तिपीठों का। माता मनसा देवी के सिद्ध शक्तिपीठ पर बने मदिंर का निर्माण मनीमाजरा के राजा गोपाल सिंह ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर आज से लगभग पौने दो सौ साल पहले चार साल में अपनी देखरेख में सन‌् 1815 में पूर्ण करवाया था। मुख्य मदिंर में माता की मूर्ति स्थापित है। मूर्ति के आगे तीन पिंडियां हैं, जिन्हें मां का रूप ही माना जाता है। ये तीनों पिंडियां महालक्ष्मी, मनसा देवी तथा सरस्वती देवी के नाम से जानी जाती हैं। मंदिर की परिक्रमा पर गणेश, हनुमान, द्वारपाल, वैष्णवी देवी, भैरव की मूर्तियां एवं शिवलिंग स्थापित है। हरियाणा सरकार ने मनसा देवी परिसर को 9 सितम्बर 1991 को माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड का गठन करके इसे अपने हाथ में ले लिया था।

मंदिर तक आती थी 3 किमी लम्बी गुफा

कहा जाता है कि जिस जगह पर आज मां मनसा देवी का मंदिर है, यहां पर सती माता के मस्तक का आगे का हिस्सा गिरा था। मनसा देवी का मंदिर पहले मां सती के मंदिर के नाम से जाना जाता था। मान्यता है कि मनीमाजरा के राजा गोपालदास ने अपने किले से मंदिर तक एक गुफा बनाई हुई थी, जो लगभग 3 किलोमीटर लंबी है।
वे रोज इसी गुफा से मां सती के दर्शन के लिए अपनी रानी के साथ जाते थे। जब तक राजा दर्शन नहीं नहीं करते थे, तब तक मंदिर के कपाट नहीं खुलते थे। 

Anil dev

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