चुनाव प्रचारक से द्रमुक का बॉस : बहुत लंबा सफर तय किया स्टालिन ने

punjabkesari.in Tuesday, Aug 28, 2018 - 07:36 PM (IST)

चेन्नई : आपातकाल के बुरे दिनों में चुनावों के दौरान द्रमुक के लिए प्रचार करने वाले किशोर से लेकर करीब पांच दशकों तक अपने पिता दिवंगत करुणानिधि की पार्टी की बागडोर संभालने वाले एम के स्टालिन ने राजनीति में बहुत से उतार चढ़ाव को देखा है। तमिलनाडु के 65 वर्षीय नेता के द्रमुक प्रमुख बनने के साथ ही द्रविड़ पार्टी में एक नए युग की शुरुआत हो गई है। वह अपने पिता के बाद पार्टी के अध्यक्ष बनने वाले महज दूसरे व्यक्ति हैं।

साल 1969 में करुणानिधि को द्रमुक अध्यक्ष चुना गया था। पार्टी के संस्थापक सी एन अन्नादुरई के निधन के कारण उन्हें यह पद मिला था। हालांकि करुणानिधि अपने बेटे का नाम अय्यादुरई रखना चाहते थे जिसमें से ‘अय्या’ तर्कवादी नेता दिवंगत ई वी रामसामी पेरियार जिन्हें अय्या कहा जाता था, से लिया गया और दुरई अन्नादुरई से लिया गया लेकिन 1953 में सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन के निधन के बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया। नास्तिक करुणानिधि ने उसी वर्ष जन्मे अपने बेटे का नाम कम्युनिस्टि नेता के नाम पर स्टालिन रख लिया।

किशोरावस्था से ही राजनीति में कूदे स्टालिन ने 1967 के विधानसभा चुनाव में द्रमुक के लिए प्रचार किया और तेजी से पार्टी में उनका कद बढ़ता गया। आपातकाल के दौरान उन्हें कठोर आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था (मीसा) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया और जेल में बंद कर दिया गया। स्टालिन के मीसा के दिनों के कारण ही द्रमुक के महासचिव के अंबाझगन ने पार्टी की महापरिषद की बैठक में जेल में बंद रहने के दौरान उनकी कई ‘अनगिनत परेशानियों’ के बारे में बताया।

वर्षों बाद स्टालिन ने 1984 में ना केवल द्रमुक की युवा ईकाई की कमान संभाली बल्कि 1989 में विधायक भी बने। वह छह बार के विधायक हैं। द्रमुक के गढ़ वाली चेन्नई कोरपोरेशन के मेयर के तौर पर 1996-2001 के दौरान स्टालिन को ट्रैफिक जाम कम करने के लिए कई फ्लाईओवरों के निर्माण के लिए ख्याति मिली। हालांकि बाद में इन्हीं कामों ने उनके लिए परेशानियां खड़ी कर दी। जब 2001 में अन्नाद्रमुक सत्ता में लौटी तो सरकार ने स्टालिन और करुणानिधि पर फ्लाईओवरों के निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। इसी के संबंध में उन्हें आधी रात को गिरफ्तार किए जाने की घटना भी शामिल है।

वर्ष 2006 तक स्टालिन का कद और अधिक बढ़ गया तथा उन्होंने अपने पिता के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में पदार्पण किया। उन्हें 2009 में उपमुख्यमंत्री बनाया गया। इसी समय स्टालिन और उनके बड़े भाई एम के अलागिरी के बीच उत्तराधिकारी की लड़ाई शुरू हो गई। अलागिरी भी ख्याति पा रहे थे और वे केंद्रीय मंत्री थे। हालांकि, करुणानिधि ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी विरासत स्टालिन संभालेंगे। भाइयों के बीच दुश्मनी की पराकाष्ठा तब हुई जब करुणानिधि ने कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए अलागिरी को 2014 में द्रमुक से निकाल दिया जिससे स्टालिन के लिए आगे का रास्ता साफ हो गया। पार्टी भी स्टालिन की तरफ खड़ी दिखाई दी।

स्टालिन ने आधिकारिक तौर पर पार्टी की विरासत संभाली लेकिन वह करुणानिधि की खराब सेहत के कारण पिछले कुछ वर्षों से पार्टी चला रहे थे। स्टालिन के नेतृत्व में द्रमुक 2014 में एक भी संसदीय सीट नहीं जीत पाई लेकिन 2016 के विधानसभा चुनाव में उसने विपक्षी खेमे की 98 सीटों में 89 सीटों पर जीत दर्ज की। स्टालिन ने 80 के दशक में कुछ तमिल फिल्मों और टीवी धारावाहिकों में भी काम किया है। 


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shukdev

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