तलाक देने के दो और तरीके अभी भी कायम हैं जो लैंगिक न्याय के लिए चुनौती हैं: पी चिदंबरम

Wednesday, Aug 23, 2017 - 03:44 PM (IST)

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने आज कहा कि एक बार में तीन तलाक भले ही खत्म हो गया हो लेकिन तलाक देने के दो अन्य तरीके अभी भी कायम हैं और ये लैंगिक न्याय तथा लैंगिक समानता के लिए चुनौती हैं। 

 चिदंबरम ने ट्वीट किया  आज यह स्पष्ट हो गया। केवल एक बार में तीन तलाक ही गैरकानूनी हुआ है, तलाक के दो अन्य तरीके भी लैंगिक न्याय तथा लैंगिक समानता के लिए चुनौती हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक बार में तीन तलाक की व्यवस्था कुरान के मौलिक कानूनी सिद्धांतों को तोड़मरोड़ कर बनाई गई थी और शीर्ष अदालत द्वारा इसे असंवैधानिक घोषित करना अच्छा रहा।  

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, फैसला बहुमत से आना लैंगिक न्याय और पति तथा पत्नी की बराबरी की जोरदार ढंग से पुष्टि करता है। उच्चतम न्यायालय ने कल अपने एेतिहासिक फैसले में मुस्लिमों में तलाक-ए-बिद्दत (एक बार में तीन तलाक) को अमान्य करार दिया था।  हालांकि अदालत ने तलाक के दो अन्य तरीकों को नहीं छुआ। ये दो तरीके हैं , तलाक अहसन (अलग रहने के बाद एक बार बोला जाने वाला तलाक ) और तलाक हसन (तीन बार तलाक बोलना, एक के बाद एक तीन महीनों तक )  
 

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