बंटवारे का दर्द झेल रहा है सूडान

Thursday, Jul 14, 2016 - 03:08 PM (IST)

ऑपरेशन संकटमोचन नामक अभियान का नेतृत्व कर रहे विदेश राज्य मंत्री जनरल वी.के. सिंह दक्षिणी सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए वहां पहुंचने वाले होंगे। राजधानी जूबा से वे भारतीय परिवारों को सकुशल स्वदेश जाने का प्रयास करेंगे। वहां राष्ट्रपति साल्वा कीर के सरकारी सुरक्षाबलों और उपराष्ट्रपति रीक माचर के वफादार सैनिकों के बीच एक बार फिर भीषण संघर्ष शुरू हो चुका है। सैकड़ों लोग अब तक मारे जा चुके हैं। 

पूरे घटनाक्रम पर संयुक्त राष्ट्र की भी निगाह है। उसे दक्षिणी सूडान की चिंता है। महासचिव बान की मून ने राजधानी जूबा में शुरू हुए हिंसा के ताजा दौर को समाप्त करने के लिए स्थानीय नेताओं से प्रभावी कदम उठाने की अपील की है। हाल में राजधानी जुबा में संघर्ष की शुरुआत उस समय हुई, जब उपराष्ट्रपति रीक मशेर ने राष्ट्रपति साल्वा कीर की सेना पर हमले का आरोप लगाया। इसके बाद दोनों के समर्थकों में गोलीबारी शुरू हो गई। हालात यह हैं कि पांच साल पहले आजाद हुए दक्षिणी सूडान में गृहयुद्ध की आशंका बढ़ गई है।

संयुक्त राष्ट्र के कोर्डिनेशन ऑफ ह्मूमैनिटेरियन अफेयर्स(ओसीएचए) कार्यालय का अनुमान है कि दक्षिणी सूडान के वेस्टर्न एक्वाटोरिया स्टेट के मुंदरी इलाके में कई माह से चल रहे संघर्ष की वजह से करीब 50,000 लोगों को मदद की जरूरत है। गौरतलब है कि दक्षिणी सूडान में दो साल पहले शुरू हुए संघर्ष में करीब 23 लाख से अधिक लोगों को मजबूरन अपने घर छोड़ने पड़े थे। इस संघर्ष में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। वर्ष 2015 के अंत में आई रिपोर्ट के मुताबिक संघर्ष के कारण वहां मानवीय स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। करीब 70 लाख से अधिक लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग मलेरिया की चपेट में आ चुके हैं।

एक बार सूडान के इतिहास पर नजर डालते हैं। मजहबी बंटवारे की राजनीति से पीडित अफ्रीका का यह देश फिर बंट गया। विश्व के मानचित्र पर उभरने वाला दक्षिणी सूडान दुनिया का 193वां देश है। लंबे समय से सूडान में संघर्ष चल रहा था। यह संघर्ष वहां की ईसाई और मुस्लिम जनता के बीच था। लंबे गृह युद्ध के बाद 2005 में हुए एक शांति समझौते के अनुसार जनमत संग्रह के तहत जनता ने सूडान को विभाजित कर एक नया देश बनाने के पक्ष में मतदान किया। फिर भी प्राकृतिक स्रोत और सेना के बंटवारे में लंबी खींचतान चलती रही। 
अमरीका ने भी दरियादिली दिखाई। उसने सूडान के विरुद्ध जो प्रतिबंध लगाए थे, वे दक्षिणी सूडान के लिए समाप्त कर दिए। दक्षिणी सूडान नया देश तो बन गया, पर उसकी सरकार कितनी स्थिर होगी, इसके बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता था। उत्तरी सूडान व दक्षिणी सूडान के बीच जो संघर्ष है, वह कब थमेगा, यह कह पाना मुश्किल है। दोनों एक-दूसरे को मुस्लिम व ईसाई के रूप में देखते हैं। दुनिया में असंख्य बंटवारे हुए हैं। कभी राष्ट्रीयता के नाम पर, तो कभी भाषा के नाम पर और कभी रंगभेद के नाम पर, लेकिन धर्म के नाम पर केवल दो देश ही बंटे, एक है भारत, तो दूसरा है सूडान। 

कहा जा सकता है कि दोनों सूडानों के बीच का बंटवारा केवल ईसाई और मुस्लिम धर्म तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह लड़ाई दो संस्कृतियों के बीच है। आबादी के दृष्टिकोण से दुनिया में सबसे अधिक ईसाई देश हैं। क्षेत्रफल भी उनका बड़ा है। वे दुनिया पर कब्जा करते रहे हैं। ज्यों-ज्यों दुनिया के दूरगामी क्षेत्रों का पता चलता गया, वहां उनका राज कायम हो गया, इसलिए संपूर्ण दुनिया में ईसाई झंडा अधिक से अधिक देशों पर फहराता चला गया। ईसाइयत के बाद जनसंख्या के आधार पर नंबर दो का धर्म इस्लाम है। मुसलमानों ने लड़ाइयां लड़ीं व अपना वर्चस्व जमाया। 

अफ्रीका महाद्वीप पर नजर दौड़ाएं, तो उत्तरी व पश्चिमी क्षेत्रों में मुस्लिम बहुल राष्ट्र हैं, तो दक्षिण अफ्रीका ईसाई राष्ट्र है। इस महाद्वीप के बीच कोई ईसाई देश जरूरी था, जो दक्षिणी सूडान बन गया है। यूरोप और अमरीका  इसे ही आधार बनाकर अपनी ताकत मजबूत करने का प्रयास करते रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग का संपूर्ण लाभ दक्षिणी सूडान को मिलेगा। दक्षिणी सूडान की धरती खनिज तेल से लबालब है। अफ्रीका के बीच पश्चिमी राष्ट्रों के लिए पांव रखने की जमीन नहीं थी, वह दक्षिणी सूडान ने उपलब्ध करा दी है। यानि, न केवल भौगोलिक दृष्टि से, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी यूरोप और अमेरिका के लिए दक्षिणी सूडान वरदान साबित हो सकता है। 

लंबे स्ंघर्ष के बाद बनने वाला दक्षिणी सूडान दुनिया के सबसे अविकसित क्षेत्रों में से एक माना जाता है। वहां के लोग लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि उन्हें उत्तरी सूडान की सरकार के हाथों लगातार बुरे बर्ताव का सामना करना पड़ा है। जरुरत है कि पूरी दुनिया को नए सूडान के सृजन में सहयोग करना होगा। तभी वहां शांति और स्थिरता विश्व शांति के हित में होगी। सूडान की करोड़ों जनता की जिंदगी भी आसान बन पाएगी। लेकिन वहां इस समय जो हालात हैं और गृहयुद्ध की जो स्थिति बन रही है उसे दूर करने में स्थानीय नेतृत्व को आगे आना होगा। तभी अमन और चैन आ पाएगा और वहा का जीवन सामान्य हो पाएगा।

 
 

 

Advertising