चालू वित्त वर्ष में 16.2% की बढ़ोतरी, 25.86 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचा प्रत्यक्ष कर संग्रह

punjabkesari.in Tuesday, Mar 18, 2025 - 03:33 PM (IST)

नेशनल डेस्क। चालू वित्त वर्ष में 16 मार्च तक देश के प्रत्यक्ष कर संग्रह में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 16.2 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि देखने को मिली है। यह आंकड़ा अब 25.86 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। प्रत्यक्ष करों में कॉर्पोरेट टैक्स, पर्सनल इनकम टैक्स और सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) शामिल हैं।

कॉर्पोरेट टैक्स में जोरदार वृद्धि

इस अवधि के दौरान कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन बढ़कर 12.40 लाख करोड़ रुपये हो गया जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 10.1 लाख करोड़ रुपये था। इससे यह साफ जाहिर होता है कि देश के कारोबारी माहौल में सुधार हुआ है और कंपनियों ने बेहतर तरीके से टैक्स अदा किया है।

पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन भी बढ़ा

पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 10.91 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 12.90 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह दर्शाता है कि देश में व्यक्तिगत आय पर भी कर संग्रह में वृद्धि हुई है जो अर्थव्यवस्था में मजबूती का संकेत है।

PunjabKesari

 

सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स में बढ़ोतरी

सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) कलेक्शन में भी तेजी देखी गई है। यह 34,131 करोड़ रुपये से बढ़कर 53,095 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह आंकड़ा बताता है कि शेयर बाजार में व्यापार गतिविधि भी बढ़ी है।

अन्य करों में मामूली गिरावट

हालांकि संपत्ति कर सहित अन्य करों में मामूली गिरावट देखी गई है जो 3,656 करोड़ रुपये से घटकर 3,399 करोड़ रुपये रह गया है।

PunjabKesari

 

रिफंड में वृद्धि

इस वर्ष कर रिफंड में 32.51 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है जो अब 4.6 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। रिफंड घटाने के बाद शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 21.26 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 18.8 लाख करोड़ रुपये से 13.13 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

अर्थव्यवस्था में मजबूती

इस बढ़ोतरी से यह साफ संकेत मिलता है कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है। सरकार आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश करने के लिए अधिक धन जुटा रही है। इससे राजकोषीय घाटा भी नियंत्रण में रहता है।

PunjabKesari

 

 

कम राजकोषीय घाटा का मतलब है कि सरकार को कम उधारी पर निर्भर रहना पड़ता है जिससे बैंकों के पास अधिक पैसा बचता है। यह बड़े कंपनियों के लिए उधार लेने और निवेश करने के अवसर बढ़ाता है। इस तरह से आर्थिक विकास में वृद्धि होती है और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होते हैं।

मुद्रास्फीति पर नियंत्रण

इसके अलावा कम राजकोषीय घाटा मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित रखने में मदद करता है जिससे देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहती है और विकास की गति बनी रहती है। वहीं इस प्रकार सरकार के कड़े कदम और मजबूत कर संग्रह की नीति से भारत की आर्थिक स्थिति लगातार सुदृढ़ हो रही है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Rohini Oberoi

Related News