धनतेरस: आज शुभ मुहूर्त में करें ये काम, रोग-शोक का जड़ से होगा नाश

Friday, Oct 25, 2019 - 07:09 AM (IST)

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भगवान धन्वंतरि की हम जीवों पर महान कृपा है, उनका विग्रह ही कृपामय है, न केवल सांसारिक प्राणियों पर ही आपका अनुग्रह है, अपितु देवता भी उनके ही कारण असुरों के अत्याचारों से मुक्त होकर स्वस्थ, निर्भीक एवं आनंदित हो सके थे। इसी दिन धन, वैभव, सुख-समृद्धि, वैभव का पर्व धनतेरस मनाया जाता है, संसार का सबसे बड़ा धन है निरोगी काया, भौतिक सुख साथ होगा तभी समृद्धि और वैभव का भोग पाएंगे। धन्वंतरि का प्रादुर्भाव समुद्र मंथन से त्रयोदशी के दिन हुआ था और उनके हाथ में अमृत कलश था, भगवान धन्वंतरि द्वारा सभी प्राणियों को आरोग्य सूत्र प्रदान किए गए इसीलिए धन त्रयोदशी के दिन धन्वंतरि पूजा का विशेष विधान है। इससे परिवार के सभी रोग शोक का जड़ से नाश होता है और स्वस्थ शरीर की प्राप्ति होती है।

 

धनतेरस के दिन इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा
पूजा मुहूर्त-
शाम 7 बजकर 8 मिनट से लेकर रात 8 बजकर14 मिनट तक
प्रदोष काल- शाम 5 बजकर 38 मिनट से रात 8 बजकर:13 मिनट तक
वृषभ काल- शाम 6 बजकर 50 मिनट से रात 8 बजकर 45 मिनट तक
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 25 अक्टूबर की सुबह 7 बजकर 8 मिनट से 26 अक्टूबर की दोपहर 3 बजकर 57 मिनट तक

पूजा के बाद सारा परिवार मिलकर श्री धन्वंतरि जी की आरती करे
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।

तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.।।

आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.।।

भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं.।।

तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं.।।

हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं.।।

धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं.।।


 

Niyati Bhandari

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