फिर से साथ आने के सवाल पर बोले देवेंद्र फडणवीस, ''शिवसेना कभी हमारी दुश्मन नहीं थी''

Monday, Jul 05, 2021 - 12:24 AM (IST)

नेशनल डेस्कः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी और पूर्व सहयोगी शिवसेना ‘‘दुश्मन नहीं'' हैं, हालांकि उनके बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं और कहा कि राजनीति में कोई ‘किंतु परंतु' नहीं होता। यह पूछे जाने पर कि क्या दो पूर्व सहयोगियों के फिर से एक साथ आने की संभावना है, फडणवीस ने कहा कि स्थिति के आधार पर ‘‘उचित निर्णय'' किया जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी हालिया बैठक और भाजपा तथा शिवसेना के फिर से एक साथ आने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर फडणवीस ने कहा, ‘‘राजनीति में कोई ‘किंतु परंतु' नहीं होता है। परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लिए जाते हैं।'' वह महाराष्ट्र विधानमंडल के मॉनसून सत्र की पूर्व संध्या पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘भाजपा और शिवसेना दुश्मन नहीं हैं, हालांकि मतभेद हैं। स्थिति के अनुसार उचित निर्णय लिया जाएगा।''

फडणवीस ने कहा, ‘‘हमारे दोस्त (शिवसेना पढ़ें) ने हमारे साथ 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ा। लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने (शिवसेना) उन्हीं लोगों (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस) से हाथ मिला लिया जिनके खिलाफ हमने चुनाव लड़ा था।'' फडणवीस ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसियां उच्च न्यायालय के आदेश पर महाराष्ट्र में विभिन्न मामलों की जांच कर रही हैं और उन पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं है।

फडणवीस का बयान पिछले दिनों शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात की पृष्ठभूमि में आया है। ठाकरे ने पिछले महीने दिल्ली के दौरे के दौरान प्रधानमंत्री से अलग से मुलाकात की थी। इससे पहले दिन में, शिवसेना सांसद संजय राउत ने शनिवार को भाजपा नेता आशीष शेलार के साथ अपनी मुलाकात के बारे में ‘‘अफवाहों'' को खारिज करने की कोशिश की।

शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमारे बीच राजनीतिक और वैचारिक मतभेद हो सकता है, लेकिन अगर हम सार्वजनिक कार्यक्रमों में आमने-सामने आते हैं तो अभिवादन जरूर करेंगे। मैं शेलार के साथ सबके सामने भी कॉफी पीता हूं।''

बहरहाल, फडणवीस ने पुणे में एमपीएससी के एक उम्मीदवार के अंतिम साक्षात्कार को लेकर अनिश्चितता के बीच आत्महत्या करने पर दुख जताया। उन्होंने एमपीएससी में आमूल-चूल बदलाव की मांग करते हुए कहा, ‘‘महाराष्ट्र राज्य लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) के उदासीन रवैये के कारण किसी भी सदस्य की नियुक्ति नहीं की गयी और परीक्षाएं और साक्षात्कार नहीं हो रहे हैं।'' 

Yaspal

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