25 वर्षों में 60 फीसदी तक बढ़ सकता है डेंगू का खतरा

punjabkesari.in Tuesday, Nov 26, 2024 - 09:49 AM (IST)

नेशनल डेस्क। जलवायु परिवर्तन के कारण डेंगू के मामलों में 25 वर्षों में यानि कि 2050 तक 40 से 60 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। कुछ क्षेत्रों में तो डेंगू के मामले 200 फीसदी तक बढ़ सकते हैं। यह जानकारी अमेरिकन सोसाइटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन (ASTMH) की सालाना बैठक में किए गए एक शोध में सामने आई है।

शोध का निष्कर्ष

यह अध्ययन हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड और मैरीलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया था। शोध में 21 देशों में डेंगू के 15 लाख मामलों का विश्लेषण किया गया। वैज्ञानिकों ने यह जानने की कोशिश की कि बढ़ता तापमान विशेषकर अमेरिका और एशिया में डेंगू के फैलने पर कैसे असर डाल रहा है।

अध्ययन से पता चला कि डेंगू का प्रसार तब होता है जब तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 27.8 डिग्री सेल्सियस तक होता है। अधिक गर्मी होने पर डेंगू का प्रसार धीमा पड़ जाता है। 2023 में अमेरिका में डेंगू के 45.9 लाख मामले सामने आए थे और 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 1.25 करोड़ हो गया जो 160% की वृद्धि को दर्शाता है।

जलवायु परिवर्तन और मच्छरों से होने वाली बीमारियां

अध्ययन में यह भी पाया गया कि जलवायु परिवर्तन मच्छरों से होने वाली बीमारियों का एक प्रमुख कारण बन रहा है। जलवायु परिवर्तन की वजह से मच्छर अब उन क्षेत्रों में भी पनप रहे हैं जहां पहले वे नहीं पनपते थे। अगर उत्सर्जन में तेजी से कटौती की जाए तो डेंगू के मामलों में 60% की वृद्धि को 40% तक सीमित किया जा सकता है।

भारत में डेंगू का बढ़ता असर

भारत भी डेंगू से सबसे ज्यादा प्रभावित 30 देशों में शामिल है। पिछले पांच सालों में भारत में डेंगू के मामलों में 84% की वृद्धि हुई है। 2020 में डेंगू के 1,57,315 मामले सामने आए थे जबकि 2023 में यह संख्या बढ़कर 2,89,235 हो गई। इस दौरान डेंगू से होने वाली मौतों में भी 192% की वृद्धि हुई।

वैश्विक स्तर पर डेंगू में वृद्धि

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि पिछले दो दशकों में डेंगू के मामलों में वैश्विक स्तर पर वृद्धि हुई है। 2023 के अंत तक 129 से अधिक देशों में डेंगू के संक्रमण की रिपोर्ट आई है।

भविष्य में बढ़ सकते हैं प्रभाव

वहीं अधिकारियों का कहना है कि बढ़ते तापमान और डेंगू के मामलों में वृद्धि के बीच सीधा संबंध है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसके प्रभाव और भी बदतर हो सकते हैं। यह अध्ययन भविष्य में स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है ताकि डेंगू के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए बेहतर कदम उठाए जा सकें।


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News Editor

Rahul Rana

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