तीन तलाक का दंश झेल रही 300 महिलाओं ने लगाई न्याय की गुहार

Wednesday, Feb 28, 2018 - 08:46 PM (IST)

कोलकाता: तीन तलाक का दंश झेलने वाली 300 से ज्यादा महिलाएं बुधवार को एकत्र हुईं और अपने लिए न्याय एवं सम्मान के साथ जीने के अधिकार की मांग की।

मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली रोकेया नारी उन्नयन समिति की सचिव कादिजा बानू ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि संविधान के अनुरूप कानून बनाए जाएं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अपने पतियों के हाथों तीन तलाक का दुख झेलने वाली महिलाओं को न्याय मिले और उनके अधिकारों की रक्षा हो। हम सम्मान के साथ जीने का अधिकार चाहते हैं।’उन्होंने कहा कि वहां एकत्र हुईं अधिकतर महिलाएं पिछड़ी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आती हैं।

कादिजा ने कहा कि तीन तलाक का दंश झेलने वाली अधिकतर महिलाओं को न्याय नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कार्यालय को एक प्रस्ताव सौंपा जाएगा जिसमें राज्य सरकार से तीन तलाक का दंश झेलने वाली मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए पहल करने की मांग की गई है। कादिजा ने कहा कि यह प्रस्ताव आज ही सौंपा जाएगा।

उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पारित किया गया था। ‘साउथ कोलकाता सोसाइटी फॉर एम्पावरमेंट ऑफ वुमन’ की सचिव अफरोजा खातून ने कहा कि विधेयक में पारर्दिशता की कमी है। उन्होंने कहा कि विधेयक में आरोपी पति की ंआर्थिक दशा या वह जेल में बंद होने के दौरान अपनी तलाकशुदा पत्नी के रखरखाव का खर्च कैसे वहन करेगा, जैसे मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया है।

अफरोजा ने कहा यह विधेयक तीन तलाक बोलने के चलन को रोकने की शुरुआती कोशिश है और इससे मुस्लिम महिलाओं के लिए सही में लैंगिक न्याय एवं समान अधिकार सुनिश्चित नहीं होंगे। उन्होंने कहा, ‘हम एक ज्यादा पारदर्शी विधेयक चाहते हैं जो सही अर्थों में मुस्लिम महिलाओं के हितों पर ध्यान दे।’

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