ONLINE ठगी से दिल्ली में 111 करोड़ की सेंधमारी, ये हैं चौंकाने वाले आंकड़े

Monday, Sep 30, 2019 - 11:17 AM (IST)

नई दिल्ली: क्या आप जानते हैं कि दिल्ली और एनसीआर के करीब 3 माह में 27 हजार से अधिक लोगों को 111 करोड़ रुपए की चपत लगी है। ये रुपए चोरी हो गए, या कहें कि लूट लिए गए। लेकिन कैसे, आखिर कौन है वह चोर या वो लुटेरा, जिसने आपके खाते में सेंध लगा दी?  
 

ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं
आरबीआई की रिपोर्ट के तहत दिल्ली में 2017-18 में 2711 मामलों की शिकायतें उनके पास आईं। जिसके तहत करीब 56 करोड़ से ज्यादा की रकम उनके खातों से निकल गई, लेकिन न तो पुलिस ने उसमें कुछ किया और न ही बैंक के तरफ से उन्हें ये पैसा मिला। इसी तरह अगस्त 2019 तक इन केसों की संख्या 27 हजार से ज्यादा पहुंच गई और ये आंकड़ा 111 करोड़ से ज्यादा का हो गया। चिप वाले एटीएम कार्ड आने के बाद भी लोगों के खातों में सेंधमारी लगातार जारी है। 
 

जानकारी के लिए पुलिस रहती है बैंक के भरोसे
ऑनलाइन ठगी के मामले में पुलिस बैंक के डिटेल के भरोसे बैठी रहती है। बैंक से ट्रांजेक्शन जानकारी मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाती है। कई ऐसे सॉफ्टवेयर या सिस्टम आ गए हैं, जिससे ट्रांजेक्शन की जानकारी निकाल सकते हैं कि पैसा किस खाते में गया है। उसे ट्रैक किया जा सकता है। पुलिस को कॉल डिटेल या ट्रांजेक्शन डिटेल निकालने में ही काफी समय लग जाता है। बैंक डिटेल देने के बाद पुलिस केस दर्ज करती है।


शिकायत दर्ज करने के लिए लगाने पड़ते हैं चक्कर 
ठगी के शिकार लोगों को कागजी कार्रवाई और जानकारी में ऐसे उलझा दिया जाता है कि उन्हें पुलिस में थाने में शिकायत दर्ज कराने में पूरा दिन लग जाता है। एक तो वह अपना पैसा निकलने से पीड़ित रहते हैं, तो दूसरी ओर इतनी जानकारी मांगी जाती है कि भागदौड़ में ही समय निकल जाता है।


ऑनलाइन ठगी के मामले
द्द सितम्बर 2019- द्वारका डिस्ट्रिक्ट के साइबर सेल और द्वारका नार्थ थाने की पुलिस टीम ने मोबाइल को आधार से ङ्क्षलक कराने या फिर बैंक अकाउंट को आधार से ङ्क्षलक कराने के बहाने लाखों की ठगी करने के मामले में 2 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया था। आरोपियों से पूछताछ में पुलिस ने 1100 फर्जी बैंक अकाउंट का पता चल गया है, जिसमें से 50 करोड़ से ज्यादा के ट्रांजेक्शन होने की आशंका जताई गई थी।
 

एटीएम ठगी के मामले

  • हौज काजी इलाके में एटीएम के जरिए एक एटीएम बूथ से जिन लोगों ने पैसे निकाले थे। उनमें से 11 लोगों के साथ ठगी की वारदात हुई और उनके अकाउंट से करीब 1:66 लाख रुपए निकाल लिए गए।
  •  दिल्ली के तिलक नगर पुलिस ने एक एटीएम के जरिये ठगी करने वाले एक गैंग को पकड़ा गिरोह ने दिल्ली के 2 एटीएम में एक हफ्ते के अंदर ठगी की 88 से ज्यादा वारदात अंजाम दीं। धर्मेंद्र सैनी इस गैंग का मास्टरमाइंड है उसके 3 साथियों सिद्धार्थ, सुनील कुमार और मयंक सक्सेना को भी गिरफ्तार किया गया।
  •  दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे मास्टरमांइड को गिरफ्तार किया है जिसने एटीएम क्लोङ्क्षनग के जरिए अब तक हजारों लोगों को चूना लगा चुका है। मास्टरमाइंड का नाम है जगप्रवेश उर्फ  टोनी डागर जो महज 5वीं पास है, लेकिन अब तक एटीएम क्लोङ्क्षनग के जरिए करोड़ों रुपए पर हाथ साफ  कर चुका है।
     

ऑनलाइन ठगी में विदेशी भी शामिल
दिल्ली पुलिस ने द्वारका से 10 विदेशी नागरिकों को ऑनलाइन ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। सभी आरोपी अफ्रीका के रहने वाले हैं। आरोप है कि ये गैर कानूनी कॉल सेंटर चला रहे थे और लोगों से ऑनलाइन ठगी कर रहे थे।
 

ठगी का हैरतअंगेज तरीका
यह गिरोह स्टेट बैंक जैसी राष्ट्रीयकृत बैंकों की हेल्पलाइन का कर्मचारी बातकर लोगों को ठगी का शिकार बना लेते हैं। साइबर ठगी के इस गोरखधंधे में कुछ सॢवस प्रोवाइडर कंपनियां की संलिप्तता से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
 

आरबीआई की गाइडलाइन बैंक की होगी जिम्मेदारी
आरबीआई के निर्देश में यह है कि बैंक की गलती, लापरवाही या किसी गड़बड़ी के कारण नुकसान होता है तब भी ग्राहक की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। ऐसे में यह शर्त भी लागू नहीं होगी कि ग्राहक ने इसकी जानकारी दी है या नहीं। सेविंग अकाउंट से अधिकतम जिम्मेदारी 10 हजार रुपए तक की होगी।
 

लोकपाल से कर सकते हैं बैंक की शिकायत
पुलिस अफसरों ने बताया कि ज्यादातर मामलों में ग्राहक की ही लापरवाही पाई जाती है। ठगों को बैंक की गोपनीय जानकारी, पासवर्ड और ओटीपी नंबर भी बता देते हैं। इस कारण ही शातिर ठग आसानी से खाते से पैसे निकाल लेते हैं। अगर किसी ने ठग को कोई जानकारी नहीं दी है या उनकी लापरवाही नहीं है तो बैंक की जवाबदेही बनती है कि ग्राहक का पैसे लौटाए। अगर बैंक पैसा नहीं लौटाता है तो लोकपाल को शिकायत कर सकते हैं। बैंकों के शिकायत निराकरण के लिए बैंक लोकपाल बनाया गया है।
 

क्या कहती है पुलिस
पुलिस अफसरों के अनुसार, शिकायत के लिए ट्रांजेक्शन की पूरी जानकारी जरूरी है। यह बैंक से मिलती है। इसलिए ग्राहक को बैंक जाकर तुरंत खाता ब्लॉक कराना चाहिए। बैंक से ट्रांजेक्शन की जानकारी लेनी होगी। उसके बाद ही पुलिस में शिकायत हो पाएगी। पैसे कहां गए, इसकी जानकारी मिलने पर पैसे वापस लाने का प्रयास किया जाता है क्योंकि गेटवे पता होने पर या ट्रांजेक्शन डिटेल होने पर संबंधित कंपनी से संपर्क किया जाता है। उन्हें ट्रांजेक्शन रोकने और पैसे रिटर्न करने के लिए कहा जाता है। इसके बाद समय की व्यस्तता और नियम-कायदे की बात करते हुए खाते की डिटेल देने में देरी की जाती है। इस प्रोसेस में ही दो-तीन दिन निकल जाते हैं।
 

ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप जोमेटो से रिफंड के नाम पर ठगी
एक गिरोह ग्राहकों से ठगी कर रहा है। कंपनी की ओर से कोई मोबाइल टोल फ्री नंबर जारी नहीं किया गया है। ठगों का यह गिरोह मोबाइल नंबर को अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर डालकर ग्राहकों के कॉल आने पर खाते की डिटेल लेता है। खाते की डिटेल मिलते ही रुपए रिफंड करने की बजाय ग्राहक के खाते से ही रुपए ट्रांसफर कर रहे हैं।
 

ऑनलाइन शॉपिंग में इनका रखें ध्यान

  • के्रडिट या डेबिट कार्ड और ऑनलाइन बैंकिंग की डिटेल जीमेल या गूगल ड्राइव से दूर रखें
  •  क्रेडिट या डेबिट कार्ड से सीवीवी नंबर मिटा दें
  • ई-मेल या एसएमएस से आए ङ्क्षलक के जरिए बैंक की वेबसाइट पर क्लिक न करें।
  •  आधिकारिक वेबसाइट से ही बैंकिंग या फाइनेंशियल एप डाउनलोड करें
     

एटीएम मशीन पर स्किमिंग डिवाइस
एक्सपट्र्स के मुताबिक जब आप किसी एटीएम पर जाते हैं तो वहां फर्जीवाड़ा करने वाले बदमाश पहले से स्किमिंग डिवाइस लगा चुके होते हैं। जैसे ही आप अपना एटीएम कार्ड एटीएम मशीन में डालते हैं, आपके कार्ड की पूरी जानकारी स्किमिंग डिवाइस के जरिए हैकर्स तक पहुंच जाती है। हैकर्स उन जानकारी की मदद से आपके कार्ड का डुप्लीकेट एटीएम कार्ड बना लेता है और जब आप एटीएम मशीन में अपना पिन दबाते हैं तो वो वहां लगे कैमरे की मदद से वो पिन कोड जानरेट कर लेते हैं, फिर इस डुप्लीकेट एटीएम कार्ड की मदद से बिना आपकी जानकारी दिए बगैर भी अपके खाते से पैसा उड़ा लिया जाता है।
 

Anil dev

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