दिल्ली: मां ने डांटा तो बच्चे ने लगा ली फांसी

Monday, Aug 26, 2019 - 05:29 AM (IST)

नई दिल्ली: बच्चों को डांटना भी अब खतरे से खाली नहीं है। क्योंकि कब बच्चा खुद को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचा ले, पता नहीं। ऐसा ही एक मामला अमन विहार इलाके में सामने आया है। यहां पर 12 साल के बच्चे ने मां के डांटने पर ही पंखे से फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया है। परिवार के साथ-साथ पुलिस भी हैरान है। इतनी छोटी सी उम्र में बच्चे की मानसिकता अपनी जीवन लीला समाप्त करने पर गई। पुलिस को मौके पर से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। 

जानकारी के मुुताबिक, 12 साल का बच्चा एस ब्लॉक अमन विहार इलाके परिवार के साथ रहता था। परिवार में माता-पिता और एक भाई और बहन थे। पिता फैक्टरी में नौकरी करते हैं। बच्चा अमन विहार स्थित सरकारी स्कूल में सातवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा था। पीसीआर को शनिवार रात करीब पौने दस बजे बच्चे के द्वारा अपने कमरे में पंखे से फंदा लगाकर खुदकुशी करने की सूचना मिली। पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव को उतारकर संजय गांधी अस्पताल मोर्चरी में भेज दिया। रविवार को शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया। 

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शाम को बच्चे ने अपनी मां से कुछ सामान लाने के लिए पैसे मांगे थे। उसे पैसे देने से मना कर दिया था। जिसको लेकर वह मां से काफी जिद करने लगा था। काफी जिद करने पर उसको डांटकर कमरे में भेज दिया था। जबकि उसकी मां कुछ मिनट बाद ही पड़ोस में रहने वाले अपने भाई के घर किसी काम से चली गई थी। उस समय बच्चे के पिता भी ड्यूटी से वापस नहीं आए थे। करीब आधे घंटे बाद जब वह वापस आई तो उसने बच्चे को घर में नहीं देखा। एक कमरा अंदर से बंद था। 

जिसको काफी बाद खटखटाने पर अंदर से किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। उसके शोर मचाने की आवाज सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे। कमरे की खिड़की से झांककर देखा, बच्चा पंखे से फंदा लगाकर लटका हुआ था। पीसीआर को मामले सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया। बच्चे के पिता को फोन कर मामले की जानकारी दी गई। घटना के बाद बच्चे की मां का कहना है कि उसको नहीं पता था कि बेटा इतनी सी बात पर फांसी लगाने जैसा कदम उठा लेगा। वह जिद्दी था,लेकिन उसकी मांगों को वह पूरा कर ही दिया करती थी। अगर वह बच्चे की जिद को पूरी कर देती,तो शायद मेरा बेटा आज मेरी आंखों के सामने होता।

Pardeep

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