न्याय के सिरों पर बुलडोजर चलाए जाने पर अदालत आंख नहीं मूंद सकती: दिल्ली उच्च न्यायालय

Saturday, Dec 03, 2022 - 06:13 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि जब दिनदहाड़े न्याय के सिरों पर बुलडोजर चल रहा हो, तो लोकतंत्र की अंतरात्मा के रक्षक होने के नाते अदालत आंख नहीं मूंद सकती। उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी सार्वजनिक भूमि पर बने धर्मार्थ अस्पताल का पट्टानामा रद्द करने के आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने कहा कि यह न्याय का उपहास है कि सार्वजनिक भूमि पर एक धर्मार्थ अस्पताल चलाने और ठोस अनुसंधान और उपचार सुविधाएं प्रदान करने जैसे नेक काम में योगदान देने वाली संस्था को उसकी संपत्ति का पट्टानामा रद्द करने जैसी कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। 

न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा, ‘‘ कानून, जिसे कल्याण सुनिश्चित करने का एक साधन होना चाहिए, उसे मौजूदा मामले में अत्याचार के एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। एक संवैधानिक अदालत और लोकतंत्र की अंतरात्मा की रखवाली होने के नाते, यह अदालत उस समय आंख नहीं मूंद सकती जब दिन के उजाले में न्याय प्रणाली और उसके सिरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा हो। '' उच्च न्यायालय ने कहा कि यह संस्था राज्य के कल्याणकारी कार्यों को लागू करने का काम कर रही है और इसके कारण इसके साथ होने वाला अनुचित उत्पीड़न कानून के शासन का अभिशाप होगा। 

उच्च न्यायालय ने खोसला मेडिकल इंस्टीट्यूट की एक अपील पर सुनवाई करने के दौरान यह बात कही। खोसला मेडिकल इंस्टीट्यूट ने शालीमार बाग में एक चिकित्सा अनुसंधान केंद्र और अस्पताल की स्थापना की थी। संस्था ने अपनी याचिका में दिल्ली विकास प्राधिकरण के 1995 के आदेश को बरकरार रखते हुए एक निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। जिसमें दिल्ली विकास प्राधिकरण के पट्टे को रद्द करने और संपत्ति को खाली कर उसका कब्जा सौंपना करने का निर्देश दिया गया था। अधिकारियों ने पट्टानामा को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि संस्थान ने कुछ लोगों को नए सदस्यों के रूप में शामिल करके संपत्ति को तीसरे पक्ष को हस्तांतरित कर दिया था और पट्टानामा की शर्तों का उल्लंघन किया था। 

Anil dev

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