गर्भपात की समयसीमा की जाए 26 हफ्ते, याचिका पर दिल्ली HC ने केंद्र को नोटिस भेज मांगा जवाब

Tuesday, May 28, 2019 - 03:12 PM (IST)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय महिला आयोग को नोटिस भेजकर गर्भपात की समयसीमा 24 या 26 हफ्ते करने पर जवाब मांगा है। दरअसल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर किसी गर्भवती महिला या उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को कोई खतरा होने की स्थिति में गर्भपात कराने की समयसीमा बढ़ाने की मांग की गई है, इसी के आधार पर केंद्र से और महिला आयोग से जवाब मांगा गया है। फिलहाल गर्भपात के लिए समयसीमा 20 हफ्ते की है। वकील अमित साहनी द्वारा यह याचिकी दायर की गई है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी।

ये कहा गया याचिका में
याचिकाकर्त्ता ने अनुरोध किया कि अविवाहित महिलाओं और विधवाओं को भी कानून के तहत वैधानिक गर्भपात की अनुमति मिलनी चाहिए। गर्भपात की समयसीमा 20 हफ्ते से 24 या 26 हफ्ते करने के पीछे तर्क दिया गया कि परिवार नियोजन के लिहाज से यह महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही महिलाओं के अपने शरीर और संतान पैदा करने की स्वेच्छा के लिहाज से भी यह महत्वपूर्ण हैं।


यह है मामला
साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इससे संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी ऐक्ट 1971 में बदलाव कानून के माध्यम से ही होना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि समय सीमा ऐसे अजन्मे बच्चों पर लागू नहीं होनी चाहिए जिन्हें जन्म के साथ ही गंभीर बीमारियों का खतरा हो। साथ ही गर्भपात के प्रावधान से विवाहित शब्द को भी हटाया जाना चाहिए ताकि अन्य महिलाएं भी इसके दायरे में आ सकें। गर्भपात की समय सीमा बदलने की मांग के पीछे कई कराण भी बताए गए थे और इसको लेकर एक संसदीय पैनल ने अपनी रिपोर्ट भी पेश की थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि

गर्भपात की समय सीमा बढ़ाकर 24 हफ्ते करने पर अविवाहित महिलाएं जो गर्भपात करवाना चाहती हैं उनके लिए गैर मान्यता प्राप्त क्लिनिक में जाने की मजबूरी खत्म हो जाएगी और इससे उनके स्वास्थ्य पर खराब असर भी नहीं पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हर साल महिलाओं की मृत्यु दर में 8% मौत असुरक्षित गर्भपात के कारण होती हैं।

 

Seema Sharma

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