दिल्ली की जहरीली हवा से युवती को कैंसर, डॉक्‍टर बोले- यह पहला मामला

Tuesday, Jul 30, 2019 - 04:08 PM (IST)

नई दिल्लीः दिवाली से पहले ही दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में प्रदूषित हवा का स्तर दिन पे दिन बढ़ रहा है। वहीं गंगाराम अस्पताल के चिकित्सकों ने जहरीली हवा के कारण लड़की को फेफड़ों के कैंसर होने का दावा किया है। डॉक्टरों की माने तो पॉल्यूशन के कारण फेफड़े के कैंसर का ये पहला मामला है। 

जहरीली हवा से हुआ कैंसर
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल (Sir Ganga Ram Hospital) में हाल ही में एक युवती जांच के लिए गईं। वहीं जब उसकी रिपोर्ट्स सामने आई तो उसके पैरो तले जमीन खिसक गई। युवती की रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें कैंसर जैसी गंभीर बीमारी है। इसकी पुष्टि खुद गंगाराम के डॉ. अरविंद कुमार (Dr. Arvind Kumar) ने की। डॉ. अरविंद सेंटर फॉर चेस्ट के चेयरपर्सन हैं। उनका कहना है कि उनकी ओपीडी में एक 28 साल की युवती जांच के लिए आई थी। युवती ने उनको बताया कि वो जन्म से लेकर स्कूल जाने तक गाजीपुर इलाके में रहती थी। इसके बाद वो और उनका परिवार पश्चिमी दिल्ली में आकर रहने लगा।

 

किसी भी सदस्य का धूम्रपान करने का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला
डॉ. की जांच के मुताबिक युवती के परिवार में से किसी भी सदस्य का धूम्रपान करने का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। जिसके बाद डॉ. ने इस मामले को सीधा वायु प्रदूषण से जोड़ा है। उनका कहना है दिल्ली की वायु इतनी प्रदूषित है कि इसमें रहने वाले किसी भी व्यक्ति को कैंसर हो सकता है। वहीं युवती को भी इसी वायु प्रदूषण से ये बीमारी हुई है। डॉ. कुमार का कहना है कि विश्वभर में सभी मानवों की संरचना एक जैसी है। हमारी बॉडी में प्रदूषण साइलेंट का काम करता है। जिसका असर एक या दो दिन नहीं बल्कि 20-30 साल बाद दिखाई देता है। डब्ल्यूएचओ भी इसे दुनिया भर में जन स्वास्थ्य आपात घोषित कर चुका है। साथ ही डॉ. ने युवती की परेशानी समझते हुए सरकार से अपील की है कि अगर सरकार चाहे तो इस युवती के मामले पर किसी भी संस्था से अध्ययन करा सकती है। 

 

प्रदूषित शहर में दिल्ली को मिला पहला स्थान
हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक वायु प्रदूषण 2018 की रिपोर्ट में नई दिल्ली को 62 प्रदूषित शहरों में पहले स्थान पर रखा गया। रिपोर्ट में वायु गुणवत्ता को पीएम 2.5 के संदर्भ में मापा गया है। दिल्ली में 41 फीसदी पीएम 2.5 के प्रदूषित कण वाहनों से, 21.5 फीसदी धूल और 18 फीसदी प्रदूषण कण विभिन्न फैक्टरियों की वजह से हैं। बता दें कि पीएम 2.5 बारिक कण होते हैं, पीएम 2.5 का स्तर बढ़ने पर ही धुंध बढ़ती है।

 

 

 

 



 

Anil dev

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