बड़ा सवाल: कौन लेगा इस हादसे जिम्मेदारी, आग लगती है, लोग मरते हैं, हम अंधे-बहरे हैं

Monday, Dec 09, 2019 - 11:22 AM (IST)

नई दिल्ली: रविवार को अनाज मंडी इलाके में आग से 43 लोगों की मौत से एक बार फिर से प्रशासन और सरकार पर सवाल खड़े हो गए हैं। सवाल है कि आखिर कब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे और कब तक हम लोग ऐसे ही तमाशा देखते रहेंगे। आखिर राजधानी दिल्ली में ऐसे हादसों को रोकने की पहल कौन करेगा और कौन लेगा इसकी जिम्मेदारी। अनाज मंडी के हादसे के बाद फिर से कई सवाल सामने आए हैं। सवाल है कि रिहायशी इलाकों में अवैध फैक्ट्रियां, होटल, रेस्त्रां, सिनेमाघर कैसे चल रहे हैं। यही नहीं बगैर एमसीडी की अनुमति और फायर की एनओसी के ये चल रहे है। सवाल ये भी है आखिर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम का अभाव कब तक आड़े आएगा। जानकार ताज्जूब होगा कि गत  वर्ष दिल्ली सरकार की ऑडिट रिपोर्ट के तहत राजधानी में 261 फैक्ट्रियां के पास ही फायर एनओसी नहीं है, यही नहीं केवल 272 फैक्ट्रियंा ऐसी चिन्हित की गई जो रिहायशी इलाकों में हैं और सुरक्षा के नजरिए से ठीक नहीं हैं। पूर्व की घटनाओं को देखे तो ये आंकड़े ही बयां करते हैं कि एजेंसियां कागजों में और वास्तविकता में किस तरह का कार्य करती हैं। देखिए उपहार कांड से लेकर अनाज मंडी कांड की एक कहानी। 
 



अग्निकांड से तबाही का मंजर
उपहार सिनेमा कांड

13 जून, 1997 को दक्षिण दिल्ली के उपहार सिनेमा में बॉर्डर फिल्म देखने पहुंचे बहुत से लोगों के जीवन का अंतिम दिन साबित हुआ था। दरअसल शो के दौरान सिनेमाघर के ट्रांसफॉर्मर कक्ष में आग लग गई जो तेजी से अन्य हिस्सों में फैल गई। आग की वजह से 59 लोगों की मौत हो गई थी जिनमें महिलाएं और बच्चे भी थे। घटना की जांच के दौरान पता चला था कि सिनेमाघर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं थे।


बवाना में 17 लोगों की मौत
21 जनवरी, 2018 को तीन फैक्ट्रियों में भीषण आग लग गई जिसमें 17 लोगों की मौत हुई इनमें 8 महिलाएं भी शमिल थीं। जांच में पता चला कि ये अवैध रूप से ये फैक्ट्रियां चल रही थीं। 


होटल अर्पित में 17 लोगों की कब्रगाह 
12 फरवरी, 2019 को करोल बाग के होटल अॢपत में आग ने 17 लोगों की जान ले ली। आग लगने के वक्त होटल में करीब 53 लोग थे। होटल के अलग-अलग कमरों में सोए लोगों का सुबह 3 बजे के आसपास अचानक दम घुटने लगा और उनकी मौत हुई। जांच में पाया गया कि होटल के पास फायर एनओसी और लाइसेंस नहीं था। 
 

पिछले महीने ही नरेला की फैक्ट्री में आग
16 नवम्बर, 2019 की रात बाहरी दिल्ली के नरेला इंडस्ट्रियल एरिया में एक फैक्ट्री में भयंकर आग लग गई। इस हादसे में एक शख्स की मौत हो गई, जबकि लाखों रुपए का सामान जलकर खाक हो गया। फैक्ट्री में जूते-चप्पल बनाए जाते थे। इसलिए यहां बड़ी मात्रा में रबर और जूते-चप्पल बनाने के काम आने वाले केमिकल्स भी रखे हुए थे जिनकी वजह से आग तेजी से भड़क गई थी।

विकास भवन की आग,नहीं थे उपकरण 
27 अगस्त को आईटीओ के पास विकास भवन की दूसरी मंजिल पर आग लग गई थी। आग दिल्ली महिला आयोग के कार्यालय में लगी थी। आग कॉन्फे्रंस हॉल में लगी जहां 22 से 25 कर्मचारी मौजूद थे। एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। जांच में पाया गया कि यहां पर आग बुझाने के उचित संसाधन मौजूद नहीं थे। 
 

हां जागी सरकार, किए ये कार्य
फायर ने इस वर्ष करीब 12 फैक्ट्री और 23 रेस्त्रां के लाइसेंस ही कैंसिल किए। होटल आॢपत में आग के बाद सरकार ने करोल बाग के 45 होटलों की जांच की जिसमें 30 होटलों की फायर एनओसी कैंसल कर दी। 

 

इन इलाकों में न लाइसेंस न ही फायर एनओसी फिर भी हजारों फैक्ट्री
चांदनी चौक, बाहरी दिल्ली के कई गांव, शाहदरा, विश्वास नगर, गांधी नगर, धर्मपुरा, कैलाश नगर, रघुवरपुरा, करावल नगर, सभापुर, सबोली, तुगलकाबाद विस्तार, सोनिया विहार, मौजपुर, चांद बाग, चौहानपट्टी, खजूरी खास, सुल्तानपुरी, नंद नगरी, मदनपुर खादर, कोटला मुबारकपुर, दिलशाद गार्डन, मंडावली, न्यू अशोक नगर, गाजीपुर, चिल्ला गांव, बुराड़ी, समसपुर, बादली, मंगोलपुरी, जहांगीर पुरी, शालीमार बाग, पीतमपुरा, संगम विहार, कालकाजी, जंगपुरा, भोगल, खानपुर, अंबेडकर नगर, मदनगीर, मटियाला, तिलक नगर, नवादा, उत्तम नगर, हरि नगर, सागरपुर, डावरी, पालम, कापसहेड़ा, मंडोली आदि।

Anil dev

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