मात्र 150 रुपए के ओवर टाइम ने छीना बच्ची के सिर से पिता का साया

Saturday, Jan 05, 2019 - 09:36 AM (IST)

पश्चिमी दिल्ली (नवोदय टाइम्स): फैक्ट्री मे ओवरटाइम पूरा करने पर मिलने वाले मात्र डेढ़ सौ रुपए की चाहत ने एक मासूम बच्ची के सिर से पिता का साया ही नहीं छीना, बल्कि उसका छोटा भाई भी हादसे में छिन गया। वहीं, हादसे में बची मां जिंदगी और मौत से जूझ रही है। उस फैक्ट्री में हादसे में गंभीर रूप से घायल मंजू और मारे गए उसके पति राजेश साथ काम करते थे। दोनों फैक्ट्री के पास ही एक किराए के मकान में रहते थे। घर में 12 साल की एक बेटी सोनी और 6 साल का बेटा हंसू है। परिवार चलाने और बच्चों को बेहतर जीवन देने के लिए साथ काम करने के साथ ही आए दिन ओवरटाइम भी किया करते थे। 

पेंटिंग का काम करता था राजेश
मंजू पैकेजिंग का काम करती थी, वहीं राजेश पेंटिंग का काम करता था। वीरवार को भी दोनों सुबह साथ ही फैक्ट्री गए थे, पर शाम को काम खत्म होने के बाद मंजू ने जिद कर राजेश को वापस घर भेज खुद ओवरटाइम करने लगी थी। लेकिन करीब साढ़े सात बजे हंसू मां से मिलने की जिद करने लगा। उसकी बात मानते हुए राजेश उसे लेकर फैक्ट्री पहुंच गया और मंजू को घर चलने को कहा लेकिन मंजू ने यह कहकर उन्हें वापस जाने को कहा कि मात्र अब डेढ़ घंटे रह गए हैं, पूरी करने पर 150 रुपए मिलेंगे। लेकिन हंसू जाने को तैयार न हुआ और वो दोनों भी वहीं रुक गए। इस दौरान हंसू पिता के साथ कंप्रेशर के पास ही खेलने लगा, तभी उसमें विस्फोट हो गया। इससे दोनों उसकी चपेट में आ गए। उस दौरान मंजू पहली मंजिल पर पैकेजिंग का काम कर रही थी, विस्फोट के बाद इमारत के गिरने से वह भी मलबे के नीचे दब गई। रेस्क्यू के दौरान निकाले जाने के बाद जहां अस्पताल में इलाज के दौरान दोनों बाप बेटों ने दम तोड़ दिया। 

मुंगेर और रामफल की हो गई मौत
वहीं मंजू स्थिति बिगडऩे के बाद उसे सफदरजंग अस्पताल भेज दिया गया है। बाल-बाल बचा अपने मामा से मिलने पहुंचा अजीत: विस्फोट के बाद कबाड़ गोदाम की दीवार के गिरने के समय वहां काम करने वाले मुंगेर और रामफल वहीं अलाव जला आग ताप रहे थे। उस समय उनके साथ मुंगेर का भतीजा राकेश और उनके एक अन्य साथी सुरेंद्र का भांजा अजीत वहां पहुंचा था। सुरेंद्र के नहीं होने पर अजीत उन्हीं के साथ बैठकर आग ताप रहा था। उसी समय दीवार गिर गई और उसकी चपेट में मुंगेर, राकेश और रामफल आ गए। गनीमत रही कि अजीत को उसके नीचे नहीं आया। इलाज के दौरान मुंगेर और रामफल की मौत हो गई। राकेश का अब भी इलाज चल रहा है। उसने बताया कि अचानक एक तेज आवाज आई और हम पर दीवार गिर गई, इसके बाद उसकी अस्पताल में आंख खुली।

अजय को जाना था माता वैष्णो देवी के दर्शन करने
 हादसे में मारे गए अजय पांच जनवरी को वैष्णो देवी जाने वाला था। उसने पूरी तैयारी कर ली थी। उसे शनिवार शाम आठ बजे की ट्रेन से अपने दस दोस्तों से साथ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए निकलता था। मूलरूप से नेपाल का रहने वाले अजय ने एक जनवरी को ही अपने एक दोस्त के कहने पर फैक्ट्री में काम करना शुरू किया था, जहां वह पंखे का ब्लेड बनाने का काम करता था। यात्रा की जानकारी उसने बुधवार रात ही फैक्ट्री के अन्य साथियों को दी थी। उसके पिता ने बताया कि वह दर्शन के लिए जाने को लेकर काफी उत्साहित था और उसने कपड़े और बैग भी पैक कर लिए थे। हादसे के वक्त वह पहली मंजिल पर काम कर रहा था। हादसे के बाद उसके सभी दोस्त हैरान और दुखी हैं। जो डीडीयू अस्पताल में उसके शव को लेने के लिए आए हुए थे।

बेटे को पुलिस की वर्दी में नहीं देख सका मुंगेर
हादसे में मरने वाले अमेठी निवासी मुंगेर अपने बेटे को पुलिस की वर्दी में देखना चाहता था। गांव से करीब 15 वर्ष पहले काम के लिए दिल्ली आया मुंगेर कबाड़ के गोदाम में काम करता था और गांव पैसे भेजता था। मुंगेर के तीन बच्चे हैं, दो लड़की और एक लड़का। तीनों पढ़ाई कर रहे थे। अपने बेटे को वह पुलिस की वर्दी में देखना चाहता था। बेटे ने उत्तर प्रदेश पुलिस की परीक्षा दी और पास की। जिसके बाद मुंगेर के बेटे नागेश्वर को ट्रैनिंग के लिए रायबरेली सेंटर पर भेज दिया गया। फिलहाल उनका बेटा अंडर ट्रैनिंग है और जल्द ही ट्रैनिंग पूरी कर पुलिस में शामिल हो जाएगा। 

 मामा से मिलने आया और हादसे का शिकार हो गया
हादसे में घायल अजीत बवाना में रहता है और वीरवार शाम को अपने मामा सुरेन्द्र से मिलने के लिए सुदर्शन पार्क आया था। सुरेन्द्र कबाड़ के गोदाम में काम करता है।  अजीत के दोनों पैर और सिर में गंभीर चोटें आई हैं।  

Anil dev

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