दिल्ली: इस छोटी सी गलती ने 43 लोगों को बना दिया राख, हर तरफ बिखरी थी लाशें

punjabkesari.in Monday, Dec 09, 2019 - 11:39 AM (IST)

नई दिल्ली: इमारत की तीसरी और चौथी मंजिल पूरी तरह धुएं से भरी हुई थी जिसमें कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) की मात्रा अधिक थी। यही मौत का बड़ा कारण थी। इसके अलावा कई और बड़ी लापरवाहियां भी इस बिल्डिंग में मौजूद थीं, जिसके कारण मौत का आंकड़ा बढ़ता गया। एलएनजेपी अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक वहां पर पहुंचाए गए करीब तीन दर्जन लोग मृत अवस्था में थे। यह सभी लोग बिल्डिंग की दूसरी व तीसरी मंजिल पर थे जहां कार्बन मोनोऑक्साइड गैस की मात्रा बेहद ज्यादा हो चुकी थी, जिसके कारण एक-एक करके लोग गिरने लगे और बेहोश हो गए। बाद में उनकी मौत हो गई। जांच कर्मियों के मुताबिक बिल्ंिडग ही हर मजिंल पर एक ही खिड़की थी जो पूरी तरह से बंद थी, जिसके कारण ये गैस बाहर नहीं निकली वहीं दूसरी तरफ प्लास्टिक की आग तेज हो रही थी जिसके कारण पूरी बिल्डिगं चंद मिनटों में गैसचैंबर बन गई। 

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जांच के तहत पाया गया कि बिल्डिंग के जीने बेहद संकरे थे, जिसके कारण लोग जब जीने से नीचे उतरें तो एक दूसरे पर गिर पड़े। जीने पर से 12 डेथ बॉडी पाई गई, जिनके हाथ व पैर भी टूट गए हैं। ये चोटें उनके शरीर पर एक दूसरे के गिरने और चढऩे से हुई। यही नहीं बिल्डिंग में हर प्लोर पर भारी मात्रा में प्लास्टिक मौजूद थी। क्योंकि इस फैक्ट्री में प्लास्टिग बैग के  प्लास्टिक से बने सामानों को बनाया जाता था। हर प्लोर पर 30 से अधिक व्यक्ति काम करते थे जो इसी प्लास्टिक और उसके साथ प्रयोग होने वाले कपड़ों पर ही सोते थे। 

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जांच में आया है कि फैक्ट्री के दो प्लोर पर प्लास्टिक से बनी बैग और खिलौने तो अन्य फ्लोर पर जैकेट बनाई जाती थी जिसमें लैदर और रैकसीन का कपड़ा शामिल था। एनडीआरएफ टीम के मुताबिक प्लास्टिक ने जहां बिल्उिगं को गैस चैंबर बनाया वहीं जैकेट के कपड़े ने आग को इतना भड़का दिया कि लोगों को बचने का मौका नहीं मिला। सफदरजंग अस्पताल के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. सलभ कुमार के मुताबिक आग की लपटों के साथ धुएं की मात्रा भी जानमाल के नुकसान के मामले में अहम साबित हो सकता है। धुंए की मात्रा अगर अधिक है तो प्रभावित स्थान में फंसे लोगों की मौत धुएं से दम घुटने के कारण हो सकती है। 

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जान पर खेलकर जान बचाने में जुटी रही फायर पुलिस
फैक्ट्री में लगी आग के बाद फायर कर्मियों द्वारा किए गए रेस्क्यू का ऑपरेशन का 2 मिनट 55 सेकंड का लाइव वीडियो सामने आया है। इसमें फैक्ट्री में चारों तरफ धुआं घिरा हुआ था और वहां से दकमलकर्मी और पुलिस के अन्य लोग बचाव कार्य में लगे हुए थे। सीढ़ी पर लेटकर कड़ी मशक्कत के बाद ग्रिल काटी और छत के रास्ते अंदर घुसे। सदर बाजार एसीपी राम मेहर सिंह और एटीओ इंस्पेक्टर विजय कुमार खुद दमकल कर्मचारियों के साथ अंदर फंसे लोगों को बाहर निकालने में मदद कर रहे थे। तभी पता चला कि इमारत के पिछले हिस्से में भी कई लोग मदद के लिए चीख पुकार मचा रहे हैं। 

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दरअसल, एसआई संदीप, एसआई जगबीर, कॉन्स्टेबल नरेश और कुछ अन्य पुलिसकर्मियों के साथ पिछली गली में बने एक मकान की छत पर पहुंचे। दोनों इमारतों के बीच फासला बहुत ज्यादा नहीं था। सामने चौथी मंजिल पर खिड़की की ग्रिल के पास अंदर फंसे दो लोग मदद की गुहार लगा रहे थे। संदीप ने अपने साथियों की मदद से लकड़ी की एक सीढ़ी मंगाई और उसका एक सिरा छत की मुंडेर पर और दूसरा सिरा खिड़की की ग्रिल के बाहर की तरफ बनी छोटी सी बाउंड्री पर टिका दिया। इसके बाद सीढ़ी पर लेटकर क्रोङ्क्षलग करते हुए वह ग्रिल के नजदीक पहुंचे और कटर से ग्रिल को काटकर दोनों लोगों को बाहर निकाला। इस दौरान उन्हें मामूली चोटें भी लगी। 
 

कई घंटे चला बचाव कार्य
फायरकर्मियों ने तीन घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सभी को बाहर निकाला गया। बड़ी संख्या में लोगों की हुई मौत के बाद एनडीआरएफ की टीम भी वहां पहुंच गई। जबकि परेशानी का सामना न करना पड़े इसलिए ऑक्सीजन का सिलेंडर भी साथ था। इस मौके पर बात करते हुए एनडीआरएफ के डिप्टी कमाडेंट आदित्य प्रताप सिंह ने कहा एक विशेष टीम ने मौके पर कैमिकल बॉयोलोजिकल रेडियोलोजिकल  एंड न्यूलर (सीबीआरएन) के दृष्टिकोण से भी जांच की। पता लगाने की कोशिश की गई कहीं किसी प्रकार के कैमिकल की चपेट में आने से तो इतनी संख्या में लोगों को अपनी जान नहीं गवांनी पड़ी। हालांकि, जांच में ऐसा कुछ निकलकर सामने नहीं आया।


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Edited By

Anil dev

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