क्या शीला दीक्षित की तरह हैट्रिक लगा पाएंगे केजरीवाल

Monday, Jan 06, 2020 - 05:37 PM (IST)

नेशनल डेस्क ( संजीव शर्मा ): हिन्दू शासकों से लेकर मुगलों और अंग्रेजों के दिल-ओ -दिमाग पर राज करने वाली दिल्ली में राज-काज की लम्बी फेरहिस्त रही है। अगर बात आधुनिक लोकतान्त्रिक प्रणाली की ही करें तो दिल्ली ने अब तक आठ मुख्यमंत्री देखे हैं। इनमे से शीला दीक्षित ने सबसे अधिक तीन बार तो केजरीवाल ने दो बार दिल्ली की गद्दी संभाली।


केजरीवाल इस बार शीला दीक्षित की हैट्रिक की बराबरी करने के लिए  फिर से ताल ठोंक रहे हैं। आजादी के बाद दिल्ली में पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हो गया था। उस समय हालांकि अंतरिम विधानसभा का प्रावधान था। चौधरी ब्रह्मप्रकाश यादव दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री थे। वे नांगलोई से विधायक चुने गए थे। उन्होंने 17 मार्च 1952 को दिल्ली की गद्दी संभाली थी। करीब तीन साल ( 2 साल 332 दिन ) तक मुख्यमंत्री रहने के बाद उनकी जगह दरियाजंग के विधायक सरदार गुरमुख निहाल सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया। 12 फरवरी 1955 को सीएम सीट पर बैठने वाले गुरमुख निहाल सिंह करीब पौने दो साल तक मुख्यमंत्री रहे। उसके बाद दिल्ली की अंतरिम विधानसभा समाप्त कर दी गई। बीच में दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश रही। बाद में जब इसकी विधानसभा का स्टेटस बहाल हुआ तो 1993 में बीजेपी की सरकार बनी और मदन लाल खुराना मुख्यमंत्री बने। वे मोती नगर सीट से से विधायक थे। 



इसी विधानसभा को आधिकारिक तौर पर दिल्ली का पहला विधानसभा चुनाव माना जाता है क्योंकि पहले अंतरिम विधानसभा थी। लेकिन पूर्ण विधानसभा का पहला मुख्यमंत्री भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। पार्टी की सियासत के चलते मदन लाल खुराना को दो साल बाद हटाकर उनकी जगह साहिब सिंह वर्मा को सीएम बनाया गया। साहिब सिंह वर्मा ने 26 फरवरी 1996 को राज्य की बागडोर संभाली थी। दिलचस्प ढंग से उनका कार्यकाल भी पूरा नहीं हुआ और 12 अक्टूबर 1998 को सुषमा  स्वराज को दिल्ली का राज सौंपा गया। वे 52 दिन तक मुख्यमंत्री रहीं और फिर नहीं लौटीं क्योंकि बीजेपी चुनाव हार गई। चुनाव में जीतकर आई कांग्रेस ने शीला मुख्यमंत्री बनाया और शीला ने सीएम हाउस में लंगर डाल दिया। दिल्ली के सिर  शीला का जादू इस कदर चढ़कर बोला कि एक के बाद एक शीला दीक्षित ने तीन सरकारें चलाईं।



तीन दिसंबर 1998 को पहली बार मुख्यमंत्री बनी शीला दीक्षित 28 दिसंबर 2013 तक पूरे 15  साल 25 दिन तक इस सीट पर रहीं।  2013 में दोबारा चुनाव हुआ तो दिल्ली में नई पार्टी का उदय हो  चुका  था। आम आदमी पार्टी दिल्ली में नई ताकत बनकर उभरी और उसने पहले ही प्रयास में  सत्ता हासिल कर ली। केजरीवाल दिल्ली के नए मुख्यमंत्री बने,लेकिन उनकी पहली सरकार  हनीमून पीरियड में महज 48  दिन बाद ही चली गई। उसके बाद पूरे एक साल तक दिल्ली में राष्ट्रपति का राज रहा। साल बाद जब दोबारा चुनाव हुआ तो केजरीवाल ने सबकी बोलती बंद कर दी।  आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 में से 67 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया और केजरीवाल फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।  

शीला का दिसंबर और केजरी का वैलेंटाइन्स  
शीला दीक्षित सबसे अधिक समय 15 साल 25 दिन, के लिए दिल्ली की सीएम तो रही हीं, उनके साथ एक और संयोग भी रहा।  उनके लिए दिसंबर माह सियासी तौर पर अहम रहा। वे तीन में से दो बार दिसंबर माह में ही मुख्यमंत्री बनी। पहली बार 3 दिसंबर 1998 को और दूसरी बार एक दिसंबर 2003 को। दिलचस्प ढंग से तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी सत्ता भी 28 दिसंबर 2013 को गयी। उधर केजरीवाल पहली बार सीएम बनने के बाद  प्रेम दिवस यानी 14 फरवरी को पदच्युत हो गए और दिल्ली में राष्ट्रपति राज लागू हो गया। एक साल बाद उसी दिन यानी 14 फरवरी को केजरीवाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। इस बार 8 फरवरी को वोटिंग है , 11  को नतीजे।  क्या केजरीवाल 14 फरवरी को फिर से सत्ता का वैलेंटाइन्स डे मना पाएंगे - देखना दिलचस्प होगा।  

Sanjeev Sharma

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