खुलासा: हर महीने 6 करोड़ की शराब गटक रहे दिल्ली वाले

punjabkesari.in Monday, Apr 01, 2019 - 10:48 AM (IST)

नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): किसी शायर ने कहा है कि शराब बंद हो साकी के बस की बात नहीं, तमाम शहर है दो चार 10 की बात नहीं...। शराब की खपत के मामले में राजधानी के शराब के शौकीनों ने इन पंक्तियों को सार्थक कर दिया है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि देश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल और शोध संस्थान एम्स ने अपने अध्ययन में कहा है। जिससे यह खुलासा हुआ है कि जाम छलकाने में दिल्ली के शौकीनों की कोई शानी नहीं है। एम्स ने अपने अध्ययन के हवाले से यह खुलासा किया है कि दिल्ली में शराब के शौकीन हर महीने करीब 6 करोड़ से भी अधिक कीमत की शराब गटक जाते हैं। 

ऐसे हुआ अध्ययन 
इंडिया स्टेटिकल इंस्टीट्यूट के सहयोग से एम्स के डॉक्टरों ने अपने अध्ययन में 65 हजार से अधिक परिवारों को शामिल किया। जिसका निष्कर्ष बेहद चौंकाने वाला है। विशेषज्ञों के मुताबिक देश में बढ़ती शराब की खपत लोगों से उनके जीने का अधिकार छीन रही है। अध्ययन में खुलासा हुआ कि देश में हर माह साढ़े 3 करोड़ लीटर शराब (कीमत करीब 410 करोड़) का सेवन किया जा रहा है। वहीं शराब पीने का शौक सिर्फ शहरी ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों पर तेजी से हावी हो रहा है। जिनकी आॢथक स्थिति बेहतर है वैसे शहरी और ग्रामीण लोग ज्यादातर शराब के आदी हैं। 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी माना गंभीर है मामला
एम्स के वरिष्ठ डॉ. अतुल अंबेकर के मुताबिक बीते माह राष्ट्रीय नशा सर्वेक्षण 2019 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जो रिपोर्ट जारी की थी उसमें देश में लगातार बढ़ रहे नशीले पदार्थों के सेवन पर गंभीर करार दिया था। रिपोर्ट में माना गया कि देश में शराब की खपत तेजी से बढ़ रही है। नतीजतन, सिर्फ स्वास्थ्य ही नहीं प्रभावित हो रहा बल्कि सड़क हादसों में बढ़ोतरी पाए जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक दुनिया में करीब 5 प्रतिशत बीमारियों के पीछे शराब पीने की आदत जिम्मेदार है। इससे लिवर, किडनी खराब होने वाले मरीजों के तादाद में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। 

दिल्ली में 5 लाख लीटर एल्कोहल की खपत 
जानकर हैरानी होगी कि राजधानी दिल्ली में करीब 5 लाख लीटर एल्कोहल की ब्रिकी होती है, जिसका सीधा असर एम्स सहित दिल्ली के तमाम अस्पतालों के आपातकालीन विभाग और ओपीडी में दिखता है। जहां हर रात काफी तादाद में ऐसे मरीज भर्ती होते हैं जिनके घायल होने की पीछे शराब मुख्य वजह होती है। इनमें से आधे मरीजों की मौत हो जाती है, जबकि ओपीडी में पहुंचने वाले 20 प्रतिशत मरीज शराब के दुष्प्रभाव से पीड़ित होते हैं। 


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Anil dev

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