सभापति को प्रस्ताव के गुण-दोष पर फैसला करने का अधिकार नहीं: सुरजेवाला
Monday, Apr 23, 2018 - 02:38 PM (IST)
नई दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए दिया गया नोटिस राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू द्वारा आज खारिज किए जाने के बाद कांग्रेस ने कहा है कि उपराष्ट्रपति को इस प्रस्ताव के गुण-दोष पर फैसला करने का अधिकार नहीं है। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नोटिस खारिज होने के बाद कई ट्वीट कर नाराजगी जताई है। उन्होंने लिखा है, ‘‘महाभियोग की संवैधानिक प्रक्रिया 50 सांसदों (राज्यसभा में) की ओर से प्रस्ताव (नोटिस) दिए जाने के साथ ही शुरू हो जाती है। राज्यसभा के सभापति प्रस्ताव पर निर्णय नहीं ले सकते, उन्हें प्रस्ताव के गुण-दोष पर फैसला करने का अधिकार नहीं है। यह वास्तव में ‘‘लोकतंत्र को खारिज’’ करने वालों और ‘‘लोकतंत्र को बचाने वालों’’ के बीच की लड़ाई है।’’
Constitutional process of impeachment is set in motion with 50 MP’s giving the motion.
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 23, 2018
RS Chairman can’t adjudge the motion, for he has no mandate to decide the merits of the motion.
This is truly a fight between forces ‘Rejecting Democracy’ & voices ‘Rescuing Democracy’.
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उन्होंने कहा, ‘‘64 सांसदों द्वारा महाभियोग का नोटिस दिए जाने के कुछ घंटे के भीतर ही राज्यसभा में सदन के नेता (वित्त मंत्री) ने राज्यसभा के सभापति के निर्णय पर एक तरह से लगभग फैसला ही सुना दिया। उन्होंने पूर्वाग्रह जताते हुए इसे ‘‘प्रतिशोध याचिका’’ बताया। कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया कि क्या ‘‘प्रतिशोध याचिका’’ अब ‘‘बचाव आदेश’’ बन गया है?’’ सुरजेवाला ने एम. कृष्णा स्वामी मामले का संदर्भ देते हुए लिखा, ‘‘ राज्यसभा के सभापति अद्र्ध-न्यायिक या प्रशासनिक शक्तियों की गैर-मौजूदगी में गुण-दोष पर फैसला नहीं कर सकते । यदि सभी आरोपों को जांच से पहले ही साबित करना है, जैसा राज्यसभा के सभापति कह रहे हैं, तो ऐसे में संविधान और न्यायाधीश (जांच) कानून की कोई प्रासंगिकता नहीं रह जाएगी। संविधान का गला नहीं घोटें।’’
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— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 23, 2018
Within hours of 64 MP’s submitting the impeachment motion, Leader of Rajya Sabha(FM) had expressed naked prejudice by calling it a ‘revenge petition’ virtually dictating the verdict to Rajya Sabha Chairman on that day.
Has ‘Revenge Petition’ now become ‘Rescue Order’?