पढ़े हौसले की मिसाल इस महिला की कहानी!(Watch Pics)

Thursday, Jan 07, 2016 - 08:00 PM (IST)

रायपुर: हिम्मत का दूसरा नाम कही जाने वाली दीपा मलिक के शरीर का निचला हिस्सा सुन्न है। वह अर्जुन अवॉर्ड और 54 नेशनल गोल्ड मेडल जीत चुकी है। 30 सितंबर, 1970 को सैनिक पिता के घर पैदा हुईं दीपा मलिक की संघर्ष की कहानी 6 साल की उम्र से शुरु हुई, जब उन्हें लकवा मार गया।

तीन स्पाइनल ऑपरेशन, कमर से नीचे का शरीर पैरेलाइज्ड, कंधे पर 183 टांके के बावजूद उनके बुलंद हौसले देख लोग भी हैरत में पड़ जाते है। बीमारी की शुरुआत में पहले टांगों में कमजोरी आई। बाद में स्पाइनल कॉर्ड में ट्यूमर का पता चला। उसका ऑपरेशन कराया, तो कुछ सालों बाद 1999 में फिर तकलीफ शुरू हुई और दूसरा ऑपरेशन हुआ। फिर उसी जगह तीसरी सर्जरी से उनकी स्पाइनल कॉर्ड डैमेज हो गई और उन्हें व्हील चेयर का सहारा लेना पड़ा। 
 
दीपा ने स्वीमिंग, जेवलिन थ्रो, शॉट पुट आदि खेलों में 54 नेशनल गोल्ड मेडल्स और 13 इंटरनेशनल मेडल्स हासिल किए हैं। पैरालंपिक खेलों में उल्लेखनीय उपलब्धियों के कारण उन्हें भारत सरकार ने अर्जुन अवार्ड प्रदान किया। बाइकिंग, तैराकी, कार रैली, शॉट पुट, चक्का फेंक, और भाला फेंक में विकलांग वर्ग में इंडिया को रिप्रजेंट कर चुकी हैं।

खेलों में खास उपलब्धियों के लिए दीपा मलिक का नाम चार बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉड्र्स में दर्ज हो चुका है। पहली बार यमुना नदी में बहाव के उलट एक किलोमीटर की दूरी तैर कर तय करने के लिए, दूसरी बार 58 किमी की स्पेशल बाइक राइडिंग के लिए, तीसरी बार सबसे लंबी पैन इंडिया ड्राइविंग (3278 किमी) के लिए और चौथी बार मोटर द्वारा पहुंची जा सकने वाली दुनिया की सबसे ऊंची सड़क (लद्दाख में स्थित) पर ड्राइव करके पहुंचने के लिए।
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