अवध के राजा की गुमनाम मौत, गहने बेचकर कुत्तों को खिलाता था खाना

Monday, Nov 06, 2017 - 02:18 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अवध राजघराने से ताल्लुक रखने वाले प्रिंस अली रजा की एक महीने पहले रहस्यमयी मौत हो गई। कभी शाही जिंदगी जीने वाले प्रिंस कुछ समय से गुमनामी में जी रहे थे। दरअसल वह राजकुमारी सकीना के साथ कई दशकों से खंडहर हो चुके मालचा महल में रह रहे थे। करीब एक महीने बाद उनकी मौत की खबर सामने आई। चाणक्यपुरी थाने के पुलिस अधिकारियों ने प्रिंस की मौत की पुष्टि हुई। मालचा महल सेंट्रल रिज के घने जंगल में है। इसमें रजा और सकीना के साथ उनके सिक्यॉरिटी गार्ड, ग्रेटडन, जर्मन शेपर्ड और नेपोलियन जैसी विदेशी नस्ल के कुत्ते रहा करते थे।


यह महल आज खंडहर है यहां ना तो बिजली है और ना ही पानी। प्रिंस रजा राजकुमारी सकीना के गहने बेचकर कुत्तों के लिए हड्डियां और अपने लिए खाना लाते थे। जर्जर महल में उनके पास ना तो सोफा बचा था और ना ही सोने के लिए बिस्तर। जिस मालचा महल में प्रिंस रहते थे उसे दिल्ली के मुस्लिम शासक फिरोजशाह तुगलक ने बनवाया था। इतिहासकारों की मानें तो उस वक्त तुगलक इसे शिकारगाह की तरह इस्तेमाल करते थे। बताया जाता है कि भारत में राजशाही रियासतों के विलय के बाद अवध राजघराने की बेगम विलायत महल 1975 में 12 कुत्ते, नौकर, बेटी सकीना महल और बेटे अली रजा के साथ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन आई। यहां वे करीब 10 साल तक नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के वीआईपी लाउंज में रहीं और भारत सरकार के खिलाफ धरना दिया। 

धरने के दौरान जब रेलवे के अफसर उनको हटाने आते, तो उनके कुत्ते उन पर झपट पड़ते। आखिरकार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनसे मिलने रेलवे स्टेशन पहुंचीं और वर्ष 1985 में भारत सरकार ने बेगम विलायत महल को इसका मालिकाना हक दे दिया। उन्होंने भारत सरकार से पेंशन की भी मांग की, लेकिन सरकार ने इसे नहीं माना। हालांकि, उनके महल की मरम्मत कराने का वादा जरूर इंदिरा गांधी ने किया था लेकिन उनके निधन के बाद उन्हें कोई मदद नहीं मिल सकी।

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