Blood Cancer: ब्लड कैंसर की पहली स्टेज में ऐसे देता है शरीर खतरे का इशारा, पर लोग कर देते हैं Ignore

punjabkesari.in Tuesday, Nov 04, 2025 - 12:28 PM (IST)

नेशनल डेस्क। ब्लड कैंसर एक गंभीर बीमारी है जो शरीर में रक्त कोशिकाओं (Blood Cells) के बनने के तरीके को प्रभावित करती है। ज्यादातर ब्लड कैंसर की शुरुआत बोन मैरो से होती है जहां स्टेम सेल्स बनती हैं। जब यह प्रक्रिया प्रभावित होती है तो नॉर्मल रक्त कोशिकाओं के बजाय एब्नॉर्मल ब्लड सेल्स बढ़ने लगती हैं जिससे रक्त कैंसर होता है। अच्छी खबर यह है कि इस खतरनाक कैंसर का इलाज संभव है और सही समय पर पहचान होने से लोग इसे सफलतापूर्वक सर्वाइव कर रहे हैं।

ब्लड कैंसर के शुरुआती लक्षण 

ब्लड कैंसर के लक्षण उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं लेकिन सामान्य रक्त कैंसर होने पर शरीर में ये संकेत दिखाई दे सकते हैं:

कमजोरी और थकान महसूस होना।

सांस फूलना।

लसीका ग्रंथियों (Lymph Nodes) का फूल जाना।

बार-बार इंफेक्शंस होना।

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रात में पसीने छूटना।

लिवर का आकार बढ़ जाना।

हड्डियों में लगातार दर्द बने रहना।

बुखार होना जो लंबे समय तक बना रहे।

लगातार वजन कम होते चले जाना।

कहीं पर भी चोट या खरोंच लगने पर खून बहना और चोट का जल्दी न भरना।

ब्लड कैंसर के प्रमुख प्रकार

ब्लड कैंसर मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करता है:

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ल्यूकीमिया (Leukemia):

इसमें असामान्य सफेद रक्त कोशिकाएं (White Blood Cells) बनने लगती हैं जिससे नॉर्मल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में रुकावट आती है।

यह चार प्रमुख प्रकार का होता है: एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक (ALL), एक्यूट मायलॉयड (AML), क्रॉनिक मायलॉयड (CML) और क्रॉनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकीमिया (CLL)।

लिम्फोमा (Lymphoma):

यह लिम्फेटिक सिस्टम (Lymphatic System) से शुरू होता है।

 

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इसके दो मुख्य प्रकार हैं: हॉजकिन लिम्फोमा और गैर-हॉजकिन लिम्फोमा।

मायेलोमा (Myeloma):

इसे मल्टीमल मायेलोमा भी कहते हैं। यह प्लाज्मा कोशिकाओं (Plasma Cells) में शुरू होता है और अक्सर हड्डी (Bone) में पाया जाता है। इसमें असामान्य प्लाज्मा सेल्स तेज़ी से बढ़ती हैं जिससे हड्डी में ट्यूमर भी हो सकता है।

कैंसर की स्टेज और रिस्क फैक्टर्स

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ब्लड कैंसर की पहली स्टेज (First Stage)

पहली स्टेज से पहले जीरो स्टेज होती है जिसमें असामान्य रक्त कोशिकाएं तेज़ी से बढ़ने लगती हैं। इसमें कैंसर खून और मैरो कोशिकाओं को प्रभावित करता है। असामान्य रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ती है और कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों तक फैलने लगता है। इसके बाद कैंसर की दूसरी, तीसरी और चौथी स्टेज आती है जहां उपचार करना मुश्किल हो जाता है।

किसे है ज्यादा खतरा?

यह किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन 60 वर्ष के बाद इसका खतरा सबसे अधिक होता है। धूम्रपान या सेकंडहैंड स्मोक इसका जोखिम बढ़ाते हैं। परिवार में किसी को कैंसर रहा हो तो खतरा बढ़ जाता है। पुरुषों को अधिक होता है टॉक्सिक केमिकल्स की चपेट में आना, कीमोथेरैपी/रेडिएशन थेरैपी का इतिहास और ऑटोइम्यून डिजीज भी रिस्क बढ़ाते हैं।

 

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ब्लड कैंसर का ट्रीटमेंट कैसे होता है?

ब्लड कैंसर का पता लगने के बाद डॉक्टर इसके प्रकार और स्टेज के आधार पर इलाज शुरू करते हैं:

पारंपरिक उपचार: कीमोथेरैपी (Chemotherapy), रेडिएशन थेरैपी, इम्यूनोथेरैपी और टार्गेटेड थेरैपी का सहारा लिया जाता है।

स्टेम सेल ट्रांसप्लांट: इसमें ओटोलॉगस स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (खुद के सेल्स का उपयोग) और एलोजेनिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (दाता के सेल्स का उपयोग) किया जाता है।


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Content Editor

Rohini Oberoi