लैंड पूलिंग में मिलने वाली जमीन को लेकर डीडीए का ड्रोन सर्वे

Thursday, Aug 22, 2019 - 04:54 AM (IST)

नई दिल्ली: डीडीए के महत्वाकांक्षी ड्रोन सर्वे की शुरुआत लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत मिलने वाली जमीन की पैमाईश व मैपिंग के साथ शुरू की गई है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे एन जोन में सबसे पहले आजमाया जा रहा है। बताया जाता है कि हरियाणा बॉर्डर से सटे इस जोन के अंतर्गत सबसे अधिक जमीन इस पॉलिसी में पंजीकृत हुई है। इस कार्य को पूरा करने के लिए आईआईटी रुड़की व सर्वे ऑफ इंडिया की मदद ली गई है। 

अनधिकृत कॉलोनियों में इसे अपनाने से पहले लैंड पूलिंग पॉलिसी में ड्रोन के जरिये भूमि पैमाईश व मैपिंग करने के पायल प्रोजेक्ट को अंजाम दिया है। ताकि अनधिकृत निर्माण के बारे में भी सही जानकारी मिल सके। डीडीए अधिकारी के अनुसार, पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लैंड पूलिंग में इसकी शुरुआत की गई है। परिणाम के आधार पर जल्द ही अन्य जोन व विभिन्न इलाकों में भी इसे अमल में लाया जा सकता है। अधिकारी ने कहा कि ड्रोन के जरिये पैमाईश का कार्य बेहतर व त्वरित गति से हो सकेगा बल्कि एरियल मैपिंग में भी डिजिटल रिकॉर्ड दर्ज करने में मदद मिलेगी।

शहर के लेआउट के डिजिटलीकरण पर भी डीडीए ने काम शुरू किया
जल्द ही निर्माण या अन्य किसी उद्देश्य के लिए प्रॉपर्टी से संबंधित ले-आउट प्लान प्राप्त करने के लिए लोगों को डीडीए के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। डीडीए ने इस समस्या से निजात दिलाने के लिए शहर के ले-आउट का डिजिटलीकरण करने की प्रक्रिया को भी शुरू किया है। इसमें न केवल डीडीए और नगर निगम बल्कि अन्य सिविक एजेंसियों के ले-आउट योजनाएं भी शामिल हैं। डीडीए के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सॉफ्टवेयर के माध्यम से ले-आउट योजनाओं की स्कैन कॉपी को सार्वजनिक पटल पर रखा जाएगा। ताकि लोग उसके जरिये ले-आउट और क्षेत्र की योजना के बारे में जानकारी हासिल कर सकें। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए योजनाओं को डिजिटलीकरण का कार्य शुरू किया है। 

जियो सैटेलाइट मैपिंग और डिजिटल रिकॉर्ड की सहायता से लोगों को प्रत्येक प्लॉट के बारे में सही डेटा मिल सकेगा। इस परियोजना में ले-आउट योजनाओं को डिजिटल किया जाएगा, भूखंडों की जमीन की सही बाउंड्री लोकेशन अथवा भूमि की जियो टैगिंग और क्षेत्र ले-आउट योजनाओं को बड़े जोनल योजनाओं के साथ जोड़ दिया जाएगा। डिजिटल जानकारी डीडीए के वेब पोर्टल पर उपलब्ध होगी। अधिकारी के अनुसार इसमें 1200 से अधिक क्षेत्रों के ले-आउट योजनाओं का डिजिटलीकरण किया जाएगा, फिलहाल इनमें से चार सौ पर कार्य शुरू किया गया है। आने वाले दिनों में इसमें पूरे शहर की स्कैनिंग, जमीन की सही जानकारी आदि सुलभ होगी। बताया जाता है कि 2020 के अंत तक इस कार्य को पूरी तरह से अंजाम दे दिया जाएगा। 

सबसे अधिक भूमि जोन एन में 
लैंड पूलिंग पॉलिसी के अंतर्गत सबसे अधिक भूमि एन जोन के अंतर्गत मिली है। हरियाणा बॉर्डर से सटी बाहरी दिल्ली के इलाके में आने वाले कंझावला, कुतुबगढ़, सवादा गेरा, सुल्तानपुर डबास आदि इलाके इस जोन में शामिल हैं। इसके बाद एल जोन में नजफगढ़ घुम्मन हेड़ा, छावला जैसे इलाके हैं। बख्तावरपुर में पी-2 और के-1 जोन में भी कुछ टुकड़ा पंजीकृत किया गया है।

Pardeep

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