डेविड हेडली को पसंद थी महिलाओं के बारे में आेसामा की सोच

Sunday, Jun 26, 2016 - 07:52 PM (IST)

नई दिल्ली : पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली को अपने जीवन में कई महिलाओं के साथ रहने की आेसामा बिन लादेन की सोच पसंद थी लेकिन उसे अरब देशों की महिलाओं की तुलना में पाकिस्तानी महिलाओं के साथ जिंदगी निभाना थोड़ा मुश्किल लगा। यह जानकारी एक नई किताब में सामने आई है। आेसामा के पिता, मोहम्मद बिन लादेन के 22 पत्नियों से कम से कम 54 बच्चे थे। इसलिए जब लादेन कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था, तब उसने और उसके एक दोस्त ने तय किया कि वे भी कई पत्नियां रखकर बड़े परिवार बनाएंगे।
 
लादेन की छह पत्नियां और उनसे 20 बच्चे थे। खोजी पत्रकार कारे सोरेनसेन अपनी नई किताब ‘द माइंड ऑफ ए टेररिस्ट’ में लिखते हैं, ‘‘लादेन ने बाद में जीवन में कई महिलाएं होने के फायदों पर एक सिद्धांत विकसित कर लिया था। पैगंबर मोहम्मद की आेर से अधिकतम चार पत्नियां रखने की अनुमति है।’’ उन्होंने लादेन के हवाले से कहा, ‘‘एक (पत्नी होना) ठीक है चलने जैसा। दो होना साइकिल की सवारी जैसा है। यह तेज तो होती है लेकिन थोड़ी असंतुलित भी। तीन होना तिपहिया साइकिल जैसा है,स्थिर लेकिन धीरे। और जब चार पत्नियां हो जाएं तो यह आदर्श है।’’ लेखक के अनुसार, हेडली लादेन के विचारों को लेकर बहुत उत्साहित था। 
 
यह उत्साह महिलाओं के प्रति लादेन के विचारों को लेकर भी था। पेंग्विन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित किताब में कहा गया, ‘‘हेडली को खुद भी महिलाओं से बेहद लगाव था। उसके संबंध कई महिलाओं के साथ रहे। एक बार उसने अपने दोस्तों के सामने डींग हांकते हुए कहा था कि उसके रिश्ते इतनी बड़ी संख्या में अश्वेत महिलाओं के साथ रहे हैं, जो सैन्य अकादमी की पूरी कक्षा से भी ज्यादा है। कक्षा में लगभग 100 छात्र थे।’’  इसमें हेडली के निजी ईमेल भी शामिल हैं, जो आतंकी की मनोस्थिति को दर्शाते हैं।
 
 
 सोरेनसेन ने कहा, ‘‘हेडली को पाकिस्तानी महिलाएं थोड़ी मुश्किल लगींं। उन्होंने बड़े और नाटकीय रोमांटिक दृश्यों वाली बहुत सी बॉलीवुड फिल्में देख रखीं होती थीं और वे एक जटिल शादी में तीसरी या चौथी पत्नी की तरह नहीं रहना चाहती थीं।’’ उन्होंने कहा कि हेडली ने अपने दोस्तों को लिखा था, ‘‘अरब महिलाएं कहीं ज्यादा समझती हैं और वे इसके प्रति उन्मुक्त रवैया रखती हैं। वे आपसे सिर्फ ईमानदार रहने के लिए कहती हैं।’’  बहरहाल, लेखक का कहना है कि कई महिलाएं हेडली की कमजोरी भी थीं।  
 
उन्होंने कहा, ‘‘वह अमेरिकी नारकोटिक्स विभाग, नशीले पदार्थों का व्यापार, पाकिस्तान में हेरोइन तस्करों, खुफिया सेवा के मेजर इकबाल, लश्कर में पाशा, साजिद मीर और अन्य से निपट सकता था, वह अपनी सभी भूमिकाआंे और मिलने वाले अवसरों में एकसाथ तालमेल बैठा सकता था और इनमें से किसी मंे भी चूक नहीं होती थी।’’  ‘‘लेकिन जब बात आई महिलाओं - पत्नियांे, प्रेमिकाओं, दोस्तों और उसकी अपनी मां की - तो सबकुछ गड़बड़ हो गया।’’  
 
किताब में फैजा आेतल्हा नामक महिला का जिक्र है, जो मोरक्को से थी। वह लाहौर विश्वविद्यालय में चिकित्सा की पढ़ाई कर रही थी। फरवरी 2007 में दोनों ने पाकिस्तान में शादी कर ली थी। शादी को एक साल से भी कम समय हुआ था कि फैजा के साथ उसका संबंध टूटने की कगार पर आ गया।  वर्ष 2007 में फैजा ने पाकिस्तान स्थित अमेरिकी दूतावास में बात की।  किताब में कहा गया, ‘‘वह गुस्से में थी और चाहती थी कि विदेश मंत्रालय की सुरक्षा एजेंसी के एजेंट यह जान लें कि उसका पति, जो एक अमेरिकी नागरिक है, वह एक आतंकी है। वह लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षण शिविरों में रहा था और कई बार उसने आत्मघाती अभियानों के बारे में भी बताया था। 
 
वह मुंबई में कुछ गतिविधियों में भी संलिप्त हो सकता है।’’  किताब में आगे कहा गया, ‘‘मुंबई हमले से कुछ माह पहले, फैजा सीधे लश्कर के नेता हाफिज सईद के पास गई थी और उसने अपनी मुश्किलों में घिरी शादी को बचाने में उसकी मदद मांगी थी। सईद तब हेडली से मिला, जिसने मामले को नजरअंदाज कर दिया और कहा कि वह लश्कर के काम में व्यस्त था और दूसरे नंबर की पत्नी का ध्यान रखने के लिए उसके पास ज्यादा समय नहीं था।’’  सोरेनसेन ने लिखा है कि हालांकि फैजा और हेडली एकबार फिर एकसाथ रहने लगे थे। मुंबई में हुए आतंकी हमले को दोनों ने लाहौर स्थित अपने घर में एकसाथ बैठकर हेडली के टीवी पर ही देखा था। 
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