पिता आंदोलन में डटे, बेटियों ने उठाया फावड़ा और बदल दिया खेत का नजारा, देखें यह तस्वीरें

punjabkesari.in Wednesday, Dec 02, 2020 - 08:37 PM (IST)

नेशलन डेस्कः नए कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहे हैं। हरियाणा, पंजाब के किसानों के समर्थन में उतरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान भी यूपी गेट, गाजीपुर में दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से हजारों की संख्या में किसान अपने घरों को छोड़कर दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच चुके हैं। ऐसे में कृषि कार्य प्रभावित होना लाजिमी है, लेकिन घर के पुरुष सदस्यों के आंदोलन में जाने के बाद घर की बहुओं और बेटियों ने कृषि की देखभाल करने का जिम्मा उठा लिया है।

कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे हरियाणा पंजाब के किसानों के आंदोलन के समर्थन में पश्चिमी यूपी के किसानों ने भी दिल्ली कूच किया है। आंदोलन के बीच मंगलवार को किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच चली बातचीत बेनतीजा रही। किसान बुधवार को भी दिल्ली बॉर्डर पर डटे रहे। बुधवार को भी यूपी के मेरठ, बिजनौर, सहारनपुर जनपदों से किसान दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचे। वहीं मेरठ में खेती किसानी से जुड़े पुरुष आंदोलन के लिए निकले तो घर की बेटियों ने खेतों का रुख कर लिया।

किसान आंदोलन के बीच खेतों में नजारा कुछ बदला हुआ दिखा। पिता ने आंदोलन की राह पकड़ी तो बेटियों ने फसलों की देखरेख की जिम्मेदारी उठा ली है। मेरठ में खेत में काम कर रही छात्रा निशू चौधरी ने बताया "मेरे परिवार के लोग पापा, चाचा, भाई और क्षेत्र के लोग किसान आंदोलन में गए हैं। इसलिए हम खेत में आकर काम कर रहे हैं। ताकि हमारी फसल खराब न हो।"

निशू की ही तरह अन्य खेतों में भी बहुएं और बेटियां फसलों की निराई गुड़ाई करती नजर आईं। ग्रेजुएशन की छात्रा पायल बताती हैं कि उनके घर के पुरुष व महिला सदस्य आंदोलन में हिस्सा लेने गए हैं। ऐसे में वह पहले घर का काम निपटाती हैं और फिर खेतों में फसल की देखभाल करती हैं। आंदोलन को लेकर इन किसानों की बेटियों का कहना है कि सरकार को किसानों की मागें जल्द से जल्द मान लेनी चाहिए ताकि आंदोलन खत्म हो और किसान अपने घरों को लौट सकें। 

 


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Yaspal

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