अंतरिक्ष में ‘ट्रैफिक जाम’ का खतरा, सूरज की रोशनी पर भी हो सकता है असर, वैज्ञानिकों ने जताई चिंतित
punjabkesari.in Monday, Dec 02, 2024 - 05:07 PM (IST)
नेशनल डेस्क: धरती की निचली कक्षा (लोअर अर्थ ऑर्बिट - LEO) में बढ़ते सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष के कचरे की वजह से एक बड़ा संकट उत्पन्न हो सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर स्थिति इसी तरह बढ़ी रही, तो इस क्षेत्र में ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा हो जाएगी, जिसके चलते न सिर्फ अंतरिक्ष मिशनों को मुश्किलें आएंगी, बल्कि सूरज की रोशनी भी पृथ्वी पर सही तरीके से नहीं पहुंचेगी। अभी तक, इस निचली कक्षा में 14 हजार से ज्यादा सैटेलाइट्स और लगभग 12 करोड़ अंतरिक्ष कचरे के टुकड़े मौजूद हैं। इनमें से साढ़े तीन हजार सैटेलाइट्स तो अब बेकार हो चुके हैं। इस स्थिति को लेकर संयुक्त राष्ट्र (UN) के अंतरिक्ष मामलों के पैनल ने चिंता जताई है और कहा है कि देशों, कंपनियों और कार्पोरेट्स को इस समस्या पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
अंतरिक्ष कचरे का बढ़ता खतरा
यूएन ऑफिस फॉर आउटर स्पेस अफेयर्स की डायरेक्टर आरती होला-मैनी ने कहा कि अंतरिक्ष के कचरे और सैटेलाइट्स की संख्या इतनी बढ़ गई है कि भविष्य में इनका टकराव हो सकता है, जिससे धरती पर भी नुकसान हो सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इन सैटेलाइट्स और कचरे को साफ नहीं किया गया, तो स्पेस मिशन को बेहद गंभीर खतरे का सामना करना पड़ सकता है। आरती होला-मैनी ने यह भी कहा कि सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष के कचरे को साफ करना बेहद आवश्यक हो गया है, क्योंकि यह भविष्य में मानवीय मिशनों के लिए खतरा पैदा कर सकता है। उदाहरण के तौर पर, पिछले कुछ महीनों में चीन और रूस से जुड़े सैटेलाइट्स के दुर्घटनाग्रस्त होने से अंतरिक्ष में कचरा फैलने की घटनाएं सामने आई हैं, जो अंतरिक्ष में कार्यरत अंतरिक्ष यात्री और उपग्रहों के लिए खतरा उत्पन्न कर सकती हैं।
एकल सैटेलाइट लॉन्चिंग का समाधान
सैटेलाइट्स की बढ़ती संख्या और कचरे के भंडार को नियंत्रित करने के लिए एक सुझाव दिया गया है कि विभिन्न देशों के अलग-अलग सैटेलाइट्स को लॉन्च करने की बजाय, एक ही सैटेलाइट का संयुक्त रूप से इस्तेमाल किया जाए। इस तरह से कचरे को कम किया जा सकता है और अधिक प्रभावी तरीके से अंतरिक्ष के संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, इस दिशा में प्रमुख चुनौतियां चीन और रूस से आ रही हैं।
चीन और रूस की भूमिका
अभी हाल ही में अगस्त में चीन का एक रॉकेट LEO में फट गया था, जिससे हजारों कचरे के टुकड़े अंतरिक्ष में फैल गए थे। इससे पहले जून में एक रूसी सैटेलाइट के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के अंतरिक्ष यात्री एक घंटे तक रेस्क्यू मॉड्यूल में शिफ्ट होने पर मजबूर हो गए थे। इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि लगातार बढ़ते सैटेलाइट्स और कचरे के कारण अंतरिक्ष में टकराव की संभावना बढ़ रही है, जो केवल अंतरिक्ष मिशनों को ही नहीं, बल्कि पृथ्वी पर रहने वाले लोगों को भी प्रभावित कर सकता है।
आगे क्या?
वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस समस्या को जल्द सुलझाया नहीं गया, तो अंतरिक्ष में ‘ट्रैफिक जाम’ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे न सिर्फ सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग में दिक्कत आएगी, बल्कि अंतरिक्ष से पृथ्वी पर आने वाली सूरज की रोशनी भी बाधित हो सकती है। इससे पृथ्वी पर जीवन के लिए गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसलिए, अब समय की जरूरत है कि अंतरिक्ष के कचरे को साफ करने और सैटेलाइट्स की संख्या को नियंत्रित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझा कदम उठाए जाएं। साथ ही, भविष्य में इस समस्या से बचने के लिए देशों और कंपनियों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सैटेलाइट लॉन्चिंग और अंतरिक्ष ट्रैफिक को नियंत्रित करने की दिशा में कदम उठाने होंगे। अगर वर्तमान स्थिति पर काबू नहीं पाया गया, तो अंतरिक्ष के ट्रैफिक और कचरे के बढ़ते खतरे से आने वाले समय में न केवल स्पेस मिशनों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं, बल्कि पृथ्वी पर भी इसके गंभीर असर हो सकते हैं। इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।