अगर आपको भी छोटी-छोटी बात पर आता है रोना...तो यह फायदेमंद है सेहत के लिए

punjabkesari.in Wednesday, Feb 19, 2020 - 10:06 AM (IST)

नेशनल डेस्कः अक्सर हम जब किसी को रोता देखते हैं...खासकर लड़कियों तो सोचते हैं महिलाएं तो छोटी-छोटी बात पर भावुक हो जाती हैं और रो देती हैं। वर्क प्लेस की भी बात करें तो यहां भी लड़के लड़कियों की इसी बात का मजाक उड़ाते हैं कि वो जल्द ही इमोशनल हो जाती हैं तो बता दें कि हंसना ही नहीं रोना भी जिंदगी के लिए बहुत जरूरी है। वैसे आमतौर पर यह धारणा भी है कि हंसना, खासतौर से कहकहे के साथ हंसना सेहत के लिए फायदेमंद होता है लेकिन यह बात कम ही लोग जानते हैं कि रोना भी उतना ही फायदेमंद है जितना हंसना।

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मौजूदा दौर में भागदौड़ वाली जिंदगी में कम ही लोगों को हंसने और रोने का मौका मिलता है क्योंकि लोगों की दिनचर्या में इसकी गुंजाइश कम होती है। वास्तविकता भी है और कहावत भी है- जीवन में खुशियों के लिए रोना भी जरूरी है क्योंकि जिस तरह हंसकर व्यक्ति अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है उसी तरह रोना भी भावनाएं व्यक्त करने का तरीका है क्योंकि जिंदगी की भागदौड़ में व्यक्ति हंसने और रोने के लिए वक्त नहीं निकाल पाता तो विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी वजह से डिप्रैशन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हाल ही में इस समस्या से लड़ने के लिए खासतौर से क्राइंग क्लब शुरू किए जा रहे हैं, जहां इंसान रोकर अपने दिल के बोझ को हल्का कर सकता है।

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सूरत में भी इस तरह की पहल की गई है। यहां के क्राइंग क्लब द्वारा कालेज में पढऩे वाली छात्राओं के लिए एक खास क्राइंग थैरेपी का आयोजन किया गया। मिली जानकारी के अनुसार जाने-माने लाफ्टर थैरेपिस्ट कमलेश मसालावा और सूरत के डाक्टरों की टीम द्वारा हैल्थ क्राइंग क्लब की शुरूआत की गई है। उनका कहना है कि लोग दिल खोलकर हंसते हैं, पर रोने के लिए कोना या एकांत ढूंढते हैं लेकिन हकीकत यह है कि किसी भी व्यक्ति को सरेआम फूट-फूटकर रोना चाहिए। रोने से दुख-दर्द कम हो जाता है, साथ ही मन में बैठा हुआ बोझ हल्का हो जाता है।

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क्राइंग थैरेपी है वैंटिलेटर थैरेपी
मालूम हो कि क्राइंग थैरेपी एक वैंटिलेटर थैरेपी है। इसमें व्यक्ति को रुलाकर उसके शरीर से हानिकारक टॉक्सिन को बाहर निकाला जाता है। इंसान की आंख में आंसू उस वक्त आते हैं जब वह किसी बात को लेकर ज्यादा भावुक होता है, जैसे दुख, खुशी या फिर ज्यादा हंसने पर। 
आंसू से आंख को तकलीफ देने वाला पदार्थ निकल जाता है। डाक्टरों के मुताबिक रोने से तनाव दूर होता है, ब्लड प्रैशर नॉर्मल और ब्लड सर्कुलेशन सामान्य रहता है। इंसान का भावुक होना जरूरी होता है।

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ये हैं कुछ अहम तथ्य

  • जब व्यक्ति भावुक होता है तो एन्डोक्राइन सिस्टम आंख के क्षेत्र को हार्मोन जारी करता है जो आपकी आंखों में आंसू के रूप से उभरते हैं। रोने से आंखों के बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।
  • रोने से आंखों में आंसू आते हैं और आंखों से आने वाले आंसुओं में फ्लूड लाइसोजाइम नाम का एक तत्व होता है जो कि सीमन, म्यूकस, सलाइवा में पाया जाता है। यह तत्व 10 मिनट में आपकी आंखों के 90 प्रतिशत बैक्टीरिया खत्म कर सकता है। रोने से मन हल्का होता है। इससे ज्यादा भावुकता से भी छुटकारा मिलता है।
  • वास्तव में जब आप भावुक होकर रोते हैं और जो आंसू आते हैं तो एक ल्यूसीन-एन्केफिलन जारी करते हैं, यह एक एंडोर्फिन होता है जो आपके मूड को सही करता है और दर्द कम करता है। ऐसा करने से आपको आराम मिलता है और आप अच्छा महसूस करते हैं।
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Seema Sharma

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