विवादों से घिरे रहते हैं डेविड कैमरन

punjabkesari.in Tuesday, May 10, 2016 - 06:46 PM (IST)

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भी आलोचनाओं से मुक्त नहीं हैं। वह किसी न किसी विवाद से घिरे ही रहते हैं। ताजा मामले में लंदन के मेयर चुने गए सादिक खान ने अपने देश के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की आलोचना करने में कोई झिझक नहीं दिखाई। उन्हें खुलेआम डोनाल्ड ट्रंप जैसा बता दिया। उनके कहने का तात्पर्य था कि जिस प्रकार अमरीकी राष्ट्रपति पद के यह उम्मीदवार गैर अमरीकी लोगों, विशेषकर मुसलमानों पर बयानबाजी करके समाज को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, उसी प्रकार कैमरन भी समाज को विभाजित करने का काम करते हैं। सादिक ने यह आरोप इसलिए लगाया है कि जब वे मेयर के चुनाव प्रचार में जुटे हुए थे उस समय कैमरन की सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी ने लोगों को एक दूसरे के खिलाफ करके डर का माहौल बनाने की कोशिश की थी। वे इस तरकीब को डोनाल्ड ट्रंप की तरकीबों के समान बताते हैं। सादिक खान का आरोप है कि कैमरन ने धार्मिक और जातीय समूहों को एक दूसरे के खिलाफ करने की कोशिश की। 

पनामा के लीक दस्तावेजों से बढ़ते दबाव के बीच डेविड कैमरन के पिता के विदेशी कारोबार में निवेश को लेकर काफी हंगामा मचा था। इस विवाद को थामने के लिए डेविड ने अपना व्यक्तिगत आयकर रिटर्न जारी कर दिया। इस मामले की जांच के लिए एक नए कार्यबल का गठन भी कर दिया। वे ब्रिटेन के पहले नेता हैं जिन्होंने अपने वित्तीय मामलों के दस्तावेज जारी किए। कैमरन ने इससे पहले कहा था कि वे पनामा के लीक दस्तावेजों से पैदा हुए विवाद को बेहतर तरीके से निपटाएंगे। वे अपने व्यक्तिगत आयकर मामलों को प्रकाशित करेंगे और उन्होंने यह कदम उठा दिया।

इससे पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री एक इमाम को आईएसआईएस समर्थक बताकर विवादों में घिर गए थे। सुलिमान गनी नामक इमाम ने इन आरोपों से इनकार किया है कि वह आईएस का समर्थक हैं। उन्होंने कैमरन से इस मामले में माफी मांगने के लिए कहा। इमाम ने स्वयं को कंजर्वेटिव पार्टी का समर्थक बताते हुए अफसोस जताया कि यह पार्टी उसके विषय में ऐसी सोच रखती है। जबकि पार्टी ने उन्हें एक इवेंट में मुस्लिमों को काउंसलर्स बनने के लिए प्रोस्ताहित करने को कहा था। बाद में धीरे-धीरे यह मामला शांत हो गया।

एक मामला और भी है। कुछ दिन पहले ब्रिटेन को ईसाई राष्ट्र बता कर डेविड कैमरन एक और विवाद में फंस गए थे। वैज्ञानिकों, राजनीतिज्ञों और साहित्यकारों सहित कई जानी मानी हस्तियों ने कैमरन के बयान को देश के लिए विभाजनकारी माना। इन हस्तियों ने डेली टेलीग्राफ को एक पत्र लिखकर प्रधानमंत्री के इस बयान पर आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि कैमरन यह किस आधार पर ऐसा कह रहे हैं। संविधान के मुताबिक, देश में स्थापित चर्च है, लेकिन ब्रिटेन एक ईसाई देश नहीं है। कैमरन ने चर्च टाइम्स के एक लेख में ब्रिटेन को ईसाई देश बताया था। इसके बाद चारो ओर इस लेख की आलोचना होने लगी। 

इन हस्तियों ने जोर दिया था कि देश के रूप और अपनी स्थिति के बारे में और अधिक आश्वस्त होना चाहिए। इसका यह मतलब यह नहीं कि आप अन्य धर्मो को नीचा दिखाएं। कई बार हो चुके सर्वे, शोध और अध्ययन दर्शाते हैं कि हम में से अधिकतर धार्मिक पहचान और विश्वास के आधार पर ईसाई नहीं हैं। सामाजिक स्तर पर ब्रिटेन के बेहतर निर्माण में बहुत से ईसाई और गैर ईसाई दोनों लोगों ने अपना योगदान दिया। उन्होंने ब्रिटेन को गैर धार्मिक और बहुलतावादी समाज बताया। 

ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) के राजनीतिक संपादक के अनुसार प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने एक बार आम चुनाव के लिए अपने प्रचार अभियान के दौरान बीबीसी को बंद करवा देने की चेतावनी तक दे दी थी। समाचार पत्र में प्रकाशित एक रपट के अनुसार, प्रचार अभियान में अपनी बैटल बस से सफर करते समय कैमरन ने पत्रकारों के साथ भड़काऊ टिप्पणी की थी। इसके बाद उनकी कंजर्वेटिव पार्टी और बीबीसी के बीच विवाद काफी बढ़ गया था। बीबीसी के राजनीतिक संपादक निक रॉबिन्सन के मुताबिक इसे लेकर वे निश्चित नहीं है कि कैमरन ने मजाक में ऎसा कहा था या वास्तव में चेतावनी दी थी। यह जरूर है कि इससे बीबीसी के कर्मचारी दबाव में आ गए थे। दरअसल,प्रचार अभियान के दौरान कैमरन ने बीबीसी की एक खबर पर नाराजगी जाहिर की थी। इसमें दावा किया गया था कि कैमरन ने लिबरल डेमोक्रैटिक पार्टी के पूर्व नेता निक क्लेग से कहा था कि कंजर्वेटिव पार्टी को बहुमत नहीं मिलेगा। नाराज होकर कैमरन ने कह दिया कि वह चुनाव के बाद मैं बीबीसी को बंद करवा देंगे। जबकि कंजर्वेटिव पार्टी चुनाव में बहुमत हासिल करने में सफल रही थी। इन सभी घटनाक्रमों के मद्देनजर क्या यह अर्थ लगाया जाए कि बड़े पदों पर बैठने वाले राजनेता जानबूझ कर ऐसे बयान जारी करते हैं,ताकि चर्चा में बने रहें।


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