राफेल मामले पर फैसले से न्यायालय की प्रतिष्ठा खतरे में : माकपा

Thursday, Dec 20, 2018 - 09:30 PM (IST)

नई दिल्ली: माकपा ने राफेल मामले में केन्द्र सरकार को ‘क्लीन चिट’ देने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले को विवादित बताते हुए कहा है कि इससे सर्वोच्च अदालत की प्रतिष्ठा खतरे में पड़ सकती है। माकपा के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ में प्रकाशित संपादकीय लेख में पार्टी ने कहा है कि गत 14 दिसंबर को उच्चतम न्यायालय ने 36 लड़ाकू विमान राफेल की खरीद प्रक्रिया को फ्रांस के साथ आगे बढ़ाने की मोदी सरकार को अनुमति देने का विवादित फैसला सुनाया था। पार्टी ने इस फैसले के विवादित होने की दलील देते हुए कहा ‘उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ के फैसले की स्याही सूखने से पहले ही यह फैसला विवादों में घिर गया।’

पार्टी ने कहा कि इस मामले में तथ्यों को सीलबंद लिफाफे में मंजूर करने और चेहरों पर भरोसा कर सरकार की दलीलों को स्वीकार करने से अदालत की साख खतरे में आ गई। इतना ही नहीं न्यायिक समीक्षा के माध्यम से इस मामले में रक्षा खरीद प्रक्रिया के उल्लंघन और विमानों की कीमत जानने के नागरिकों के अधिकार को भी सीमित कर दिया गया है। पार्टी ने कहा कि सर्वोच्च अदालत ने साफ कर दिया है कि इन दोनों बिंदुओं पर न्यायिक समीक्षा करने का कोई मकसद नहीं है।

संपादकीय में माकपा ने इस मामले में सरकार द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर फैसले में मामूली गलतियों को सुधारने के लिए 15 दिसंबर को दी गई अर्जी की भी आलोचना की है। पार्टी ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में सरकार द्वारा पेश की गई जानकारियां देने से लेकर फैसले में संशोधन करने की अर्जी दायर करने तक तमाम बातों ने इस फैसले को विवादित बना दिया है। पार्टी ने इसके मद्देनजर अदालत द्वारा खरीद प्रक्रिया में मोदी सरकार की खामियों की जांच को जरूरी बताते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय को यह जांच मुकम्मल करनी चाहिए थी। 

shukdev

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