रेप केस के आरोपी प्रज्वल रेवन्ना को कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद
punjabkesari.in Saturday, Aug 02, 2025 - 04:51 PM (IST)

नेशनल डेस्क: बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने पूर्व हासन सांसद प्रज्वल रेवन्ना को बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने उन्हें 1 अगस्त को दोषी ठहराया था, जिसके बाद आज यह फैसला सुनाया गया। कोर्ट का फैसला सुनकर रेवन्ना अदालत में भावुक हो गए और रो पड़े थे। यह सजा बेंगलुरु में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालत ने सुनाई है।
किन धाराओं के तहत मिली सजा?
कोर्ट ने प्रज्वल रेवन्ना को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376(2)(K) (सत्ता में बैठे व्यक्ति द्वारा महिला से बलात्कार) और 376(2)(N) (एक ही महिला के साथ बार-बार बलात्कार) के तहत दोषी पाया है। सजा के साथ ही अदालत ने दोषी पर ₹10 लाख का जुर्माना भी लगाया है और पीड़िता को ₹7 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह सजा आज से ही प्रभावी हो गई है।
जांच टीम ने जुटाए 123 सबूत
प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले में एक साड़ी को महत्वपूर्ण सबूत के रूप में कोर्ट में पेश किया गया। आरोप था कि पूर्व सांसद ने अपनी घरेलू सहायिका के साथ एक नहीं, बल्कि दो बार बलात्कार किया। पीड़िता ने घटना का वीडियो भी रिकॉर्ड किया था और उसके पास वह साड़ी भी मौजूद थी, जिसे उसने सबूत के तौर पर संभाल कर रखा था।
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जांच में उस साड़ी पर स्पर्म के निशान पाए गए, जिससे यह मामला और भी मजबूत हो गया। अदालत में इस साड़ी को एक निर्णायक सबूत के रूप में पेश किया गया, जिसने आरोपी को दोषी ठहराने में अहम भूमिका निभाई।
यह बलात्कार का मामला मैसूरु के केआर नगर की एक घरेलू सहायिका की शिकायत पर सीआईडी साइबर क्राइम थाने में दर्ज किया गया था। शिकायत में कहा गया था कि पूर्व सांसद ने पीड़िता के साथ बलात्कार किया और उस कृत्य का वीडियो भी रिकॉर्ड किया। मामले की जांच सीआईडी के विशेष जांच दल (SIT) ने की, जिसने करीब 2,000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की। जांच के दौरान टीम ने कुल 123 सबूत जुटाए।
मात्र सात महीनों में पूरा हुआ ट्रायल
इस संवेदनशील मामले की जांच का नेतृत्व सीआईडी इंस्पेक्टर शोभा और उनकी टीम ने किया। इस मामले की सुनवाई 31 दिसंबर 2024 को शुरू हुई थी और अदालत ने 23 गवाहों की गवाही दर्ज की। इसके अलावा कोर्ट ने वीडियो क्लिप्स की फोरेंसिक रिपोर्ट और घटनास्थल की निरीक्षण रिपोर्टों की भी समीक्षा की। ट्रायल मात्र सात महीनों में पूरा हो गया और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश संतोष गजानन भट्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।