आज नहीं होगा चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण, नई तारीख का ऐलान जल्द

Monday, Jul 15, 2019 - 02:27 AM (IST)

श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की चंद्रमा पर भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को टाल दिया गया है। प्रक्षेपण से मात्र 56 मिनट पहले इस लॉन्चिंग को टाल दिया गया। इससे पहले बताया गया था कि 2 बजकर 51 मिनट पर चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण होना था। सूत्रों के मुताबिक, "तकनीकी कारणों की वजह से चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को टाल दिया गया है। इसरो द्वारा दी जानकारी के अनुसार लॉन्च सिस्टिम व्हीकल में खराबी की वजह से प्रक्षेपण रोका गया है। वहीं लॉन्चिंग की नई तारीख कुछ दिन बाद बताई जाएगी।

चंद्रयान का प्रक्षेपण आज तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जाना था। इसके 6 सितंबर को चंद्रमा पर पहुंचने की उम्मीद थी। इस मिशन के लिए जीएसएलवी-एमके3 एम1 प्रक्षेपणयान का इस्तेमाल होगा। इसरो ने बताया कि मिशन के लिए रिहर्सल शुक्रवार को पूरा हो गया था। इस मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसके जमीन, उसमें मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण है। उल्लेखनीय है चंद्रमा पर भारत के पहले मिशन चंद्रयान-1 ने वहां पानी की मौजूदगी की पुष्टि की थी।

मिशन चंद्रयान-2 की खासियत

  • इस मिशन में चंद्रयान के साथ कुल 13 स्वदेशी पे-लोड यान वैज्ञानिक उपकरण भेजे जा रहे हैं। इनमें तरह-तरह के कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं। 
  • पहले चंद्र मिशन की सफलता के 11 साल बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भू-समकालिक प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एमके तृतीय से 978 करोड़ रुपए की लागत से बने ‘चंद्रयान-2' का प्रक्षेपण करेगा। इसे चांद तक पहुंचने में 54 दिन लगेंगे। 
  • अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी सटीक दूरी पता लगाना है।
  • यह मिशन इस मायने में खास है कि चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा और सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
  • चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक दुनिया का कोई मिशन नहीं उतरा है।
  • चंद्रयान के तीन हिस्से हैं। ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में चक्कर लगाएगा। लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा।
  • इसे विक्रम नाम दिया गया है। यह 2 मिनट प्रति सेकेंड की गति से चंद्रमा की जमीन पर उतरेगा। प्रज्ञान नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा। लैंडर ‘विक्रम' का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। 
  • इसरो का सबसे जटिल और अब तक का सबसे प्रतिष्ठित मिशन माने जाने वाले ‘चंद्रयान-2' के साथ भारत, रूस, अमेरिका और चीन के बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन जाएगा। 

Seema Sharma

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