भ्रष्टाचार निवारण संशोधन विधेयक राज्यसभा में पास

Friday, Jul 20, 2018 - 02:30 AM (IST)

नई दिल्ली : रिश्वत लेने और देने दोनों को अपराध की श्रेणी में लाने वाले भ्रष्टाचार निवारण संशोधन विधेयक 2018 को राज्यसभा ने गुरुवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक के जरिए भ्रष्टचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 1988 में संशोधन किया गया है। विधेयक के अनुसार लोकसेवकों पर भ्रष्टाचार का मामला चलाने से पहले केन्द्र के मामले में लोकपाल और राज्यों के मामले में लोकायुक्तों से अनुमति लेनी होगी।

किसी भी पार्टी के पास इतना जनादेश नहीं जिसे विपक्ष के नेता का दर्जा दिया जाए
सेवानिवृत्त लोकसेवकों को भी यह संरक्षण दिया गया है। सरकार की ओर से कुल 43 संशोधन लाए गए थे जिन्हें सर्वसमति से पारित कर दिया गया। विधेयक पर लगभग चार घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने कहा कि लोकसेवकों को दिए गए संरक्षण से निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी आएगी और स्वतंत्र तथा निर्भय होकर निर्णय लिए जा सकेंगे। लोकपाल की नियुक्ति से संबंधित सदस्यों की आपत्ति पर उन्होंने कहा कि देश की जनता ने किसी पार्टी को इतना जनादेश नहीं दिया कि उसके नेता को विपक्ष के नेता का दर्जा दिया जा सके।

सबसे बडे विपक्षी दल के नेता को लोकपाल की नियुक्ति करने वाली समिति में शामिल
हालांकि सरकार ने अपनी ओर से पहल करते हुए सबसे बडे विपक्षी दल के नेता को लोकपाल की नियुक्ति करने वाली चयन समिति में शामिल किया है। उन्होंने इस बारे में स्पष्ट नहीं किया कि लोकपाल की नियुक्ति कब होगी। रिश्वत देने वाले व्यक्ति को अपनी बात रखने के लिए दिए गए 7 दिन के समय को कम बताए जाने पर सिंह ने कहा कि इस अवधि को 15 दिन तक बढाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान यह भी देखा जाएगा कि रिश्वत किन परिस्थितियों में दी गई। 

Punjab Kesari

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