अध्ययनः दरवाजे या हैंडल छूने से नहीं होता कोरोना, 70 फीसदी रोगी नहीं फैलाते वायरस

Tuesday, Oct 06, 2020 - 10:11 AM (IST)

लॉस एंजलिसः कोरोना वायरस से जूझ रही दुनिया के लिए महामारी फैलने को लेकर नित नए डरावने खुलासे हो रहे हैं। लेकिन अब कुछ नए अध्ययनों में कोरोना को लेकर कुछ राहत भरे दावे सामने आए हैं। अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में हुए एक शोध में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस महामारी सतह जैसे दरवाजे या हैंडल  छूने से नहीं फैलता है। वहीं अमेरिका स्थित सेंटर फॉर डिसीज, डायनेमिक्स एंड इकोनॉमिक पॉलिसी (CDDEP ) द्वारा आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में किए गए एक नवीनतम अध्ययन से पता चला है कि कोरोना से संक्रमित सभी व्यक्ति वायरस को प्रसारित नहीं करते हैं।

 

कैलिफोर्निया शोध में शामिल प्रोफेसर मोनिका गांधी ने कहा कि सतह के जरिए कोरोना वायरस के फैलने का मुद्दा वास्‍तव में खत्‍म हो गया है। उन्‍होंने कहा कि सतह पर पड़े किसी भी वायरस में इतना दम नहीं होता है कि वह इंसान को बीमार बना दे। इस शोध से प‍ता चला है कि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए हाथ धोने और अपने चेहरे को नहीं छूने जैसे कदमों से ज्‍यादा कारगर सोशल डिस्‍टेंसिंग और मास्‍क पहनना है। मोनिका ने कहा कि इसका मतलब यह भी है कि पूरी दुनिया में सतह पर लगातार बैक्टिरिया रोधी स्‍प्रे का छिड़काव अनावश्‍यक हो सकता है। बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान पूरे विश्‍व में इस तरह के स्‍प्रे का छिड़काव सतह पर किया जा रहा है। CDDEP के शोध के अनुसार उम्र बच्चों में संक्रमण का प्रसार ज्यादा बताया गया है।

 

आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में कोरोना महामारी विज्ञान और संचरण गतिकी शीर्षक से अध्ययन साइंस पत्रिका के 30 सितंबर के संस्करण में प्रकाशित हुआ था। इस बाबत आंध्र प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि बर्कले में सीडीडीईपी, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु सरकारों और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के जांचकर्ताओं के एक दल ने 575,071 व्यक्तियों में बीमारी के संचरण पैटर्न का अध्ययन किया, जिसमें कोरोना के 84,965 मामलों की पुष्टि हुई। अधिकारी ने दावा किया कि आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के राज्यों में हजारों संपर्क प्रशिक्षकों द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर महामारी विज्ञान का अब तक का सबसे बड़ा और सबसे व्यापक विश्लेषण है। अध्ययन के अनुसार, उजागर संपर्कों के संभावित अनुवर्ती परीक्षण से पता चला कि 70 प्रतिशत संक्रमित व्यक्तियों ने अपने किसी भी संपर्क को संक्रमित नहीं किया था, जबकि 8 प्रतिशत संक्रमित व्यक्ति 60 प्रतिशत नए संक्रमणों के लिए जिम्मेदार थे।

 

अध्ययन में उन बच्चों में संक्रमण का उच्च प्रसार पाया गया, जो अपनी उम्र के आसपास के मामलों के संपर्क में थे। सूचकांक मामले से एक करीबी संपर्क में संचरण का जोखिम समुदाय में 2.6 प्रतिशत से लेकर घर में 9.0 प्रतिशत तक है। समान-आयु वाले संपर्क सबसे बड़े संक्रमण जोखिम से जुड़े हैं। हालांकि, इन दोनों राज्यों में 40-69 वर्ष की आयु में मृत्यु दर अधिक है। यह 5-17 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों में 0.05 प्रतिशत और 85 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में 16.6 प्रतिशत है। सीडीडीईपी के निदेशक डॉ. रामनयन लक्ष्मीनारायण के अनुसार, यह अध्ययन आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में महत्वपूर्ण संपर्क-ट्रेसिंग प्रयास से संभव हुआ, जिसमें हजारों स्वास्थ्य कार्यकर्ता शामिल थे।

Tanuja

Advertising