लॉकडाउन में घर बैठे कराएं प्राइवेट लैब से कोरोना संक्रमण की जांच, ये होगा प्रोसेस
Wednesday, Mar 25, 2020 - 06:12 PM (IST)
नई दिल्ली। कोराना वायरस को हराने के लिए सरकार हर संभव प्रयास करने में जुटी है। इसी कड़ी में सरकार ने अब निजी लैब को भी कोरोना के टेस्ट करने की अनुमति दे दी है। लेकिन देश में लॉकडाउन के बीच लोग इस बात से भी परेशान हैं कि कैसे वो हॉस्पिटल जा कर ये टेस्ट कराएं। तो बता दें कि सरकार ने जिन प्राइवेट लैब को कोरोना टेस्ट करने की अनुमति दी है वो सभी घर आ कर टेस्ट सैम्पल ले जाएंगी।
अब सवाल यह है कि यह टेस्ट कैसे होगा और क्या जनता इसपर उतना ही विश्वास करेगी जितना कि हॉस्पिटल में किये गए टेस्ट पर किया जा सकता है। आईए आपको इस रिपोर्ट के मध्यम से समझाते हैं।
अपने शहर की लैब...
इसके लिए सबसे पहले आपको ये पता लगाना होगा कि आपके शहर में प्राइवेट लैब कहां-कहां मौजूद हैं, जहां कोरोना संक्रमण की जांच कराई जा सकती है। इसके लिए सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय पर एक लिस्ट लगाई गई है। आप अपने शहर में उपलब्ध उन लैब्स की लोकेशन देखकर या वेबसाइट के जरिए वहां फोन कर सकते हैं या ऑनलाइन ही कोरोना टेस्ट की मांग कर सकते हैं।
ऐसे होती है लैब टेस्ट की शुरुआत
जानकारों का कहना है कि घर पर जांच के लिए जब भी कॉल आएगा या वेबसाइट से किसकी मांग आएगी तब फोन पर ही डॉक्टर उस व्यक्ति को सर्टिफाई करेंगे फिर उस व्यक्ति की पूरी हिस्ट्री की जानकारी इक्कठा करेंगे कि वो कहां गया था, किससे मिला था और कितने लोगों के संपर्क में आया था। इस हिस्ट्री को जानने के बाद डॉक्टर उस व्यक्ति से उसका पहचान पत्र आदि लेकर एक फॉर्म, फॉर्म 44 भरते हैं, जिसमें उस व्यक्ति की पूरी जानकारी शामिल होती है। इस फॉर्म पर डॉक्टर अपने सिग्नेचर कर
आगे का काम शुरू करते है।
लिए जाते हैं स्वैब
इसके बाद लैब के कर्मचारी मरीज के घर गाउन, शरीर को पूरा ढंक कर जिसमें ग्लव्स और मास्क भी शामिल होते हैं, को पहन कर मरीज तक पहुंचते हैं। इसके बाद मरीज से टेस्ट के लिए नाक और गले के जरिये दो स्वैब लिए जाते हैं। इन दोनों स्वैब को वायरस ट्रांसपोर्ट मीडियम में डालकर लैब के अंदर लाया जाता है। इसके बाद, लैब में पूरे सुरक्षा उपकरणों के साथ स्वैब का टेस्ट किया जाता है। इस पूरे टेस्ट में 24 घंटे तक का समय लगता है।
दो बार की जाती है जांच
इसके बाद अगर संदिग्ध व्यक्ति का टेस्ट अगर पॉजिटिव आता है तो उसका इलाज शुरू किया जाता है। इलाज में एक्सरे जैसी प्रक्रिया भी अपनाई जाती है। वहीँ, अगर उसका रिजल्ट नेगेटिव आता है तो एक बार फिर 48 घंटे के अंतराल पर दोबारा टेस्ट किया जाता है। सैंपल अगर निगेटिव आता है तो व्यक्ति को डिस्चार्ज करने का फैसला डॉक्टर लेते हैं। आपको यहां ये भी बता दें कि यह टेस्ट पूरी तरह से विश्वसनीय होते हैं। इसलिए आपको संदेह करने की जरूरत नहीं है।
ये होगी टेस्ट की फीस
प्राइवेट लैब अपने यहां कोरोना वायरस के टेस्ट पर ज्यादा फीस न लगाए इसके लिए नेशनल टास्क फोर्स का कहना है कि टेस्ट का अधिकतम शुल्क 4,500 रुपये से ज्यादा नहीं हो सकता। संदिग्ध मरीजों की स्क्रीनिंग टेस्ट के लिए 1500 रुपये और कनफर्मेशन टेस्ट के लिए अतिरिक्त 3 हजार रुपये निर्धारित किए गए हैं। निर्देशों में यह भी बताया गया है कि कोरोना जांच करने की फीस सब्सिडी रेट पर ली जा सकती है।
ICMR notifies detailed guidelines for #Covid_19 testing by private labs.
— PIB India (@PIB_India) March 22, 2020
Maximum cost should not exceed Rs 4,500 - Rs 1,500 for screening test for suspect cases & additional Rs 3,000 for confirmation test
ICMR, however, has urged free or subsidized testing by private labs pic.twitter.com/2alVhwoVG4
वहीँ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी इस निर्देश में यह भी कहा गया है कि इन नियमों का उल्लंघन करते पकड़े जाने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।