बड़बोले नेताओं की अभद्र भाषा ने दूषित किया चुनाव प्रचार

Sunday, May 19, 2019 - 10:55 AM (IST)

इलेक्शन डेस्क(संजीव शर्मा): 17वीं लोकसभा का चुनाव आज सम्पूर्ण हो जाएगा। 7 चरणों में सम्पन्न होने वाले इस चुनाव को जहां हर चरण में मुद्दे बदलने के लिए जाना जाएगा वहीं इतिहास में यह चुनाव बिगड़ी भाषा को लेकर भी बदनाम रहेगा। अब तक हुए तमाम चुनावों में जिस कदर इस बार नेताओं की भाषा बिगड़ी और निजी व भद्दी टिप्पणियां हुईं ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ। यहां तक कि चुनावी इतिहास में पहली बार नेताओं को उनके भाषणों की कटुता को लेकर बैन झेलना पड़ा। हालांकि निर्वाचन आयोग की इस कार्रवाई का भी कोई खास असर नहीं दिखा और नेताओं की बदजुबानी जारी रही। अब जबकि चुनाव आज शाम निपट जाएगा, निश्चित तौर पर इस विषय पर बहस होनी चाहिए कि आखिर नेताओं की भाषा क्या हो? क्या हमारे नेता ऐसे होने चाहिएं जिनके आगे शब्द शरमा जाएं? जो बड़ा-छोटा, महिला, बच्चा देखे बिना कुछ भी कह दें? जो देश के स्वतंत्रता सेनानियों, पूर्व प्रधानमंत्रियों, यहां तक कि राष्ट्रपिता तक को नहीं बख्शें? क्या ऐसे होने चाहिएं हमारे नेता? जब चुनकर संसद में जाएं तो वहां का माहौल क्या होगा? क्या हमें देश की समस्याओं का हल करने वाली संसद चाहिए या फिर बिगड़ी भाषा वाले नेताओं का जमावड़ा? इस विषय पर गंभीर बहस होना जरूरी है।
   

मायावती, मेनका गांधी और योगी कोई नहीं बचा
देवबंद में वोट मांगने गईं बसपा सुप्रीमो ने सामुदायिक ध्रुवीकरण की आस में सभी मुसलमानों से भाजपा के खिलाफ  वोट देने की अपील की। यह बात भला कैसे योगी आदित्यनाथ को रास आती। उन्होंने अगले ही दिन इसे अली बनाम बजरंग बली का मामला बना डाला। माहौल में जहर घुलता देख सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को लताड़ लगाई तो उसकी आत्मा जागी। माया और योगी आदित्यनाथ पर अमर्यादित और फिरकापरस्त भावनाओं को बहकाने के आरोप में 72 घंटे तक प्रचार करने का प्रतिबंध लगाया गया। जब यह कार्रवाई हुई तो आम जनता को लगा कि अब मामला सम्भल जाएगा लेकिन इनका बैन खत्म होने से पहले ही केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने मुसलमानों को देख लेने की धमकी दे डाली। निर्वाचन आयोग ने उन पर भी 48 घंटे का बैन लगाया। इसके तुरंत बाद आजम खान ने तमाम हदें तोड़कर जया प्रदा के अधोवस्त्रों को लेकर बयान दे डाला। जाहिर है कि बैन उनको भी झेलना पड़ा। 

उधर हद तो तब हो गई जब अपनी नफासत भरी सियासत के लिए मशहूर देवभूमि हिमाचल के नेताओं की भी भाषा बिगड़ गई। हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने एक सभा में किसी फेसबुकिए का उल्लेख करते हुए राहुल गांधी के लिए मन की गाली का इस्तेमाल किया। उन पर भी 48 घंटे का बैन लगा लेकिन बैन खत्म होने के अगले ही दिन फिर सत्ती ने विरोधियों की बाजू काट देने जैसा बयान दे डाला। यानी निर्वाचन आयोग ने जितना इस मर्ज की दवा करने की कोशिश की यह उतना ही बढ़ता गया।  

ये रहे सबसे विवादित बयान 

‘‘जिसको हम उंगली पकड़कर रामपुर लाए, आपने 10 साल जिनसे अपना प्रतिनिधित्व कराया उसकी असलियत समझने में आपको 17 बरस लगे। मैं 17 दिन में पहचान गया कि इनका अंडर वियर खाकी रंग का है।  -आजम खान, सपा नेता

मुसलमानो अपना वोट बंटने न दें। सभी वोट महागठबंधन को जाने चाहिएं। भारतीय जनता पार्टी के लोग महिलाओं का सम्मान नहीं करते, यहां तक कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए पी.एम. मोदी ने अपनी पत्नी को भी छोड़ दिया।  -बसपा सुप्रीमो, मायावती

अगर हमें 40 से ज्यादा सीटें मिलती हैं तो क्या मोदी दिल्ली के विजय चौक पर फांसी लगा लेंगे?-मल्लिकार्जुन खडग़े

‘‘मैंने हेमंत करकरे को श्राप दिया था जिससे उसकी मौत हुई। नाथूराम गोडसे पक्के देशभक्त थे।’’ -साध्वी प्रज्ञा

सैम पित्रोदा का 1984 के सिख विरोधी दंगों पर ‘हुआ तो हुआ’ बयान चर्चा में रहा।

मोदी वोट मांगने बंगाल आ रहे हैं लेकिन लोग उन्हें कंकड़ भरे और मिट्टी से बने लड्डू देंगे जिसे चखने के बाद उनके दांत टूट जाएंगे। -ममता बनर्जी, सी.एम. पश्चिम बंगाल

कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जीवन का अंत ‘भ्रष्टाचारी नम्बर एक’ के रूप में हुआ। -नरेंद्र मोदी, पी.एम.

राहुल गांधी कहता है चौकीदार चोर है, अगर वह चोर हैं तो तू मा ....द  है।’’ -सतपाल सत्ती, हिमाचल भाजपा अध्यक्ष

‘‘विपक्ष को अगर अली पसंद है तो भाजपा को भी बजरंग बली पसंद हैं।’’ -योगी आदित्यनाथ, सी.एम. यू.पी.


बयानवीरों ने शहीदों तक को नहीं बख्शा
प्रचार के दौरान साध्वी ने आते ही मुम्बई हमलों के शहीद मुम्बई ए.टी.एस. प्रमुख शहीद हेमंत करकरे को लेकर विवादित बयान देने शुरू कर दिए। उनके शहीद हेमंत करकरे को अपने निजी मामले में निष्ठुर बताए जाने तक तो ठीक था लेकिन उन्होंने यहां तक कह डाला कि हेमंत करकरे की मृत्यु उनके (साध्वी के) श्राप से ही हुई है। यह भला इस देश को कैसे हजम हो जाता? बात बढ़ी तो साध्वी ने माफी मांग ली लेकिन उनके मुख के भीतर की तीखी जुबां ज्यादा देर तक बंधी न रह सकी और उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बता डाला। इस बात से भाजपा की इतनी किरकिरी हुई कि पी.एम. मोदी तक को इसकी निंदा करने आगे आना पड़ा। हालांकि पी.एम. मोदी भी इस मर्यादा भ्रंश के दायरे में आ गए जब उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी को लेकर यहां तक कह दिया कि उनकी मौत भ्रष्टाचार के कारण हुई। यह सच में सन्न कर देने वाला था।  

vasudha

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