Maha Kumbh 2025 में हर्षा रिछारिया की पेशवाई में रथ पर बैठने को लेकर विवाद, संतों ने जताई नाराजगी

punjabkesari.in Wednesday, Jan 15, 2025 - 05:08 PM (IST)

नेशनल डेस्क: महाकुंभ 2025 में मॉडल और एंकर हर्षा रिछारिया सुर्खियों में हैं, लेकिन अब उनके एक कदम से विवाद उत्पन्न हो गया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब वह निरंजनी अखाड़े की पेशवाई में रथ पर बैठी नजर आईं। इस पर संतों ने कड़ी आपत्ति जताई और इसके नतीजों को लेकर चेतावनी दी। 

निरंजनी अखाड़े की पेशवाई में हर्षा का रथ पर बैठना  
4 जनवरी 2025 को निरंजनी अखाड़े की पेशवाई निकाली गई थी, जिसमें हर्षा रिछारिया भी शामिल थीं। इस दौरान हर्षा रिछारिया बालों में जटा, माथे पर चंदन का टीका और गले में स्फीटिक की माला पहने हुए रथ पर बैठी नजर आईं। इस दृश्य ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी, जहां उनकी सुंदरता को लेकर चर्चाएं शुरू हो गईं। उन्हें महाकुंभ की ‘सबसे सुंदर साध्वी’ के रूप में भी पहचाना जाने लगा। हालांकि, यह सब संतों को पसंद नहीं आया। शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि धर्म को ग्लैमर का हिस्सा बनाना समाज में गलत संदेश फैलाता है। उन्होंने यह भी कहा, “साधु-संतों को इससे बचना चाहिए, क्योंकि यह खतरनाक हो सकता है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।”

हर्षा रिछारिया की सफाई  
हर्षा रिछारिया ने संतों के बयान पर अपनी सफाई दी और कहा कि वह खुद को साध्वी नहीं मानतीं। उन्होंने बताया कि उन्होंने करीब एक साल पहले अपने गुरु से दीक्षा जरूर ली थी, लेकिन फिलहाल संन्यास लेने का कोई विचार नहीं है। उनका कहना था, "मैंने अपने गुरु से दीक्षा ली है, लेकिन संन्यास लेने का कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।" हर्षा ने यह भी स्पष्ट किया कि वह साधना कर रही हैं, लेकिन उनका उद्देश्य केवल भक्ति करना नहीं है। उनका मानना है कि भक्ति और ग्लैमर में कोई विरोधाभास नहीं है और दोनों को साथ में निभाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा, "यह मेरी यात्रा है, और मैं युवाओं को यह संदेश देना चाहती हूं कि आप किसी भी रास्ते से भगवान की ओर बढ़ सकते हैं।"

उत्तर प्रदेश के झांसी जन्मी हर्षा रिछारिया
हर्षा रिछारिया का जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी में हुआ था और बाद में वह मध्य प्रदेश के भोपाल में रहने लगीं। वह पेशे से मॉडल और एंकर हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से उन्होंने अपनी ज़िन्दगी का रुख आध्यात्म की ओर मोड़ा है। हर्षा ने बताया कि वह कई सालों तक मुंबई और दिल्ली में काम कर चुकी हैं, लेकिन अब वह उत्तराखंड में साधना कर रही हैं और निरंजनी अखाड़े की शिष्या हैं। उनका गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज हैं, जिनसे उन्होंने दीक्षा ली थी।

सोशल मीडिया हुई ट्रोल
महाकुंभ के दौरान हर्षा की छवि को लेकर सोशल मीडिया पर कई टिप्पणियां आ रही हैं। कुछ लोग उन्हें ट्रोल कर रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्होंने केवल महाकुंभ में ग्लैमर का हिस्सा बनने के लिए यह रूप लिया है। इस पर हर्षा ने कहा कि वह अपनी पुरानी तस्वीरें डिलीट नहीं करतीं, क्योंकि वह अपनी यात्रा को लेकर ईमानदार हैं। उनका कहना है कि अगर वह चाहतीं तो इन तस्वीरों को हटा सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि वह चाहती हैं कि लोग उनके अनुभव और यात्रा को समझें। 

निरंजनी अखाड़े का विरोध
निरंजनी अखाड़े में रथ पर बैठने को लेकर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज का कहना है कि यह धार्मिक आयोजनों का हिस्सा नहीं हो सकता। उन्होंने धर्म को केवल एक ग्लैमर का विषय बनाने को खतरनाक बताया और कहा कि यह न केवल आध्यात्मिकता को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि समाज में गलत संदेश भी फैलता है। संतों के अनुसार, यह कार्रवाई धार्मिक आस्थाओं के खिलाफ जाती है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

अंत में सामने आया हर्षा का बयान
हर्षा रिछारिया ने इस विवाद को लेकर कहा कि वह समाज की धारा के खिलाफ नहीं जा रही हैं, बल्कि अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर विश्वास करती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उनके जीवन में भक्ति और ग्लैमर दोनों का संतुलन है और वह इसे लेकर ईमानदार हैं। उनका कहना है कि युवा पीढ़ी को यह समझने की जरूरत है कि भक्ति का मार्ग किसी भी रूप में हो सकता है और हर व्यक्ति अपनी यात्रा को अपने तरीके से तय कर सकता है।


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Content Editor

Mahima

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