इनकी सेवा करने से ग्रह भी हो जाएंगे आपके मुरीद

Saturday, Oct 19, 2019 - 07:15 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ


ग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर जितना प्रभाव पड़ता है शायद ही उतना किसी और चीज़ का पड़ता है। ऐसे भी कहा जा सकता है की हम ग्रहों के हाथ की कठपुतलियां हैं, वे जैसे नचाते हैं, हम वैसे ही नाचते हैं। ज्योतिष विद्वान कहते हैं ग्रहों को अपना मुरीद बनाना हो तो इन बातों का ध्यान रखें-

सूर्य: किसी जातक की कुंडली में सूर्य खराब परिणाम दे रहा हो तो लाल किताब के अनुसार उस जातक के मुंह से बोलते समय थूक उछलता रहता है। शरीर के कुछ अंग आंशिक या पूर्ण रूप से नाकारा होने लगते हैं। सूर्य जातकों को सुबह उठकर सूर्य देवता को अर्घ्य देना चाहिए और लाल मुंह के बंदर की सेवा करनी चाहिए। आठवें का सूर्य होने पर सफेद गाय के बजाय लाल या काली गाय की सेवा करने के लिए कहा जाता है।

चंद्र: माता की सेवा करने से चंद्रमा के शुभ फल मिलने शुरू होते हैं। घर के बुजुर्गों, साधु और ब्राह्मणों के पांव छूकर आशीर्वाद लेने से चंद्रमा के खराब प्रभावों को भी दूर किया जा सकता है। रात में सिरहाने के नीचे पानी रख कर सुबह उसे पौधों में डालने से चंद्रमा का असर दुरुस्त होता है। घर का उत्तरी पश्चिमी कोना चंद्रमा का स्थान होता है। यहां पौधे लगाए जाएं और सुबह-शाम पानी दिया जाए तो चंद्रमा का प्रभाव उत्तम बना रहता है।

मंगल: आंख में किसी भी तरह की खराबी हो या फिर लम्बे समय से संतान उत्पत्ति में बाधा आ रही हो तो इसे मंगल के खराब प्रभाव के तौर पर देखा जाता है। भाइयों की सहायता और ताऊ-ताई की सेवा करें तो मंगल का अच्छा प्रभाव मिलता है। लाल रंग का रुमाल पास रखने से मंगल का खराब प्रभाव खत्म होता है। महिलाओं में मंगल का असर बढ़ाने के लिए तो उन्हें लाल चूडिय़ां, सिंदूर, लाल साड़ी, लाल बिंदी लगाने के लिए कहा जाता है।

बुध: गंध का पता न लगे और सामने के दांत गिरने लगें तो समझ लीजिए कि बुध का खराब प्रभाव आ रहा है। ऐसे में फिटकरी से दांत साफ करने से बुध का खराब प्रभाव कम होता है। बुध खराब होने से व्यापारियों का दिया या लिया धन अटकने लगता है। गायों को नियमित रूप से पालक खिलाने से रुका हुआ धन फिर से मिलने लगता है। छत पर जमा कचरा भी ऋण को बढ़ाता है इसे हटाने से ऋण कम और व्यापार सुचारू चलता है।

गुरु: किसी साधु को पीले वस्त्र दान करने और भोजन कराने से गुरु के अच्छे परिणाम हासिल होते हैं। जिन जातकों की गुरु की दशा चल रही हो, अगर वे नियमित रूप से अपने ईष्ट के मंदिर जाएं और पीपल में जल सींचें तो गुरु की दशा में अच्छे लाभ हासिल कर सकते हैं। इसी दशा में स्कूल, धर्म स्थान में नियमित दान करना भी भाग्य बढ़ाता है।

शुक्र: चमड़ी के रोग और अंगूठे पर चोट से शुक्र के खराब प्रभाव का पता चलता है। अगर प्रतिदिन रात के समय अपने हिस्से की एक रोटी गाय को दें तो शुक्र का प्रभाव यानी समृद्धि तेजी से बढ़ती है। शुक्र का खराब प्रभाव हो तो रात के समय बैठी गाय को गुड़ देना लाभदायक होता है। सुहागिनों को समय-समय पर सुहाग की वस्तुएं देने से शुक्र का प्रभाव बढ़ता है। 

शनि: जूते खोने, घर मेें नुक्सान, पालतू पशु के मरने और आग लगने से शनि का खराब प्रभाव देखा जाता है। नियमित रूप से तेल देने, साधु को लोहे का तवा, चिमटा या अंगीठी दान करने से शनि का प्रभाव अच्छा हो जाता है। शनि के अच्छे प्रभाव लेने के लिए नंगे पैर मंदिर जाना चाहिए।

राहू : अनचाही समस्याएं राहू से आती हैं। घर का दक्षिणी-पश्चिमी कोना राहू का है। इस कोने में कभी गंदगी नहीं रहनी चाहिए। घर के दक्षिणी-पूर्वी कोने में आवश्यक रूप से हरियाली का वास रखना चाहिए। परिवार का जो सदस्य राहू से पीड़ित हो उसे हरियाली के पास रखें। अंधेरे और गंदगी वाले कोनों में राहू का वास होता है। अगर हर कोने को साफ और उजला रखेंगे तो राहू के खराब प्रभाव से दूर रहेंगे। 

केतू: जोड़ों का दर्द और पेशाब की बीमारी मुख्य रूप से केतू की समस्या के कारण आते हैं। कान बींधना, पालतू जानवर  (खासकर कुत्ता) पालना केतू के खराब प्रभाव को कम करता है। संतान कष्ट में काला-सफेद कम्बल साधु को देने से कष्ट दूर होता है।

Niyati Bhandari

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