...तो इसलिए सोनिया गांधी बनीं कांग्रेस के लिए अंतिम विकल्प

Monday, Aug 12, 2019 - 11:28 AM (IST)

नई दिल्ली: कांग्रेस आखिर ‘गांधी’ से अलग कुछ नहीं सोच पाई। दिनभर की मैराथन बैठक के बाद अंत में सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाने का फैसला कर नए अध्यक्ष के चयन का मामला टाल दिया गया। नया अध्यक्ष अब कब बनेगा, बनेगा भी या नहीं, कौन जाने। फिलहाल 75 दिन से पार्टी में बनी नेतृत्वहीनता, अस्पष्टता और असमंजस खत्म हुई। लेकिन इस व्यवस्था से निवर्तमान अध्यक्ष राहुल गांधी संतुष्ट नहीं दिखे। वे नहीं चाहते थे कि नेहरू-गांधी परिवार से कोई पूर्ण अथवा अंतरिम अध्यक्ष बने। सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी के इस्तीफा वापस न लेने की स्थिति में अंतरिम अध्यक्ष पद के लिए सोनिया पहली और अंतिम विकल्प थीं। 
 


एक पदाधिकारी ने बताया कि सीडब्ल्यूसी ने नए अध्यक्ष का नाम तय करने को जिन पांच समूहों का गठन किया था, किसी ने भी एक नाम ऐसा नहीं दिया गया जो गैर गांधी हो। सभी समूहों ने एक राय से राहुल गांधी को अध्यक्ष बने रहने के लिए मनाने की बात कही। यही कारण था कि जब रात 8 बजे से सीडब्ल्यूसी की दूसरे दौर की बैठक शुरू हुई तो बीच बैठक में राहुल गांधी को बुलाया गया। राहुल दूसरे दौर की बैठक में शामिल नहीं थे। लेकिन राहुल नहीं माने। तब पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने अंतरिम अध्यक्ष का फार्मूला दिया और कहा कि इससे नया अध्यक्ष चुनने के लिए पार्टी को पर्याप्त वक्त मिल जाएगा। सूत्रों के मुताबिक इस पर कई नेता राजी होते दिखे, लेकिन तभी फिर सवाल उठा कि अंतरिम अध्यक्ष भी किसे बनाया जाए। पार्टी के नियमों के मुताबिक सबसे वरिष्ठ महासचिव को यह दायित्व दिया जाना चाहिए, लेकिन इस पर भी नेताओं में अलग-अलग राय दिखी। 




सूत्रों की मानें तो इसी बीच एक वरिष्ठ नेता ने सोनिया गांधी का नाम अंतरिम अध्यक्ष के लिए रखा। इस पर ज्यादातर नेता एकराय होते दिखे। हालांकि सोनिया गांधी सुबह की बैठक में साफ कर चुकी थीं कि न वे और न ही राहुल चयन प्रक्रिया का हिस्सा बनेगी न ही पद की दावेदार। सूत्र बता रहे हैं कि सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव लाए जाने पर राहुल खुश नहीं दिखे। दरअसल राहुल गांधी विरोधियों के वंशवाद वाले आरोपों को कुंद करना चाहते हैं, इसलिए उनका जोर गैर गांधी अध्यक्ष पर है। जानकार मानते हैं कि ‘गांधी’ से बाहर कांग्रेस के नेता कोई और नाम इसलिए नहीं सोच पा रहे हैं कि पार्टी इस वक्त खेमों में बंटी है। गैर गांधी किसी एक नाम के तय होते ही कई नाराज होकर या तो पार्टी तोड़कर अलग हो सकते हैं या फिर चुपचाप घर बैठ जाएंगे। दोनों स्थिति में पार्टी को नुकसान होना तय है।

Anil dev

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