...तो क्या राहुल गांधी की जगह इस नेता पर गांधी परिवार लगाने वाला है दांव?

Wednesday, Jul 03, 2019 - 11:06 AM (IST)

नई दिल्ली: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके राहुल गांधी की मानमनौव्वल के बीच नए अध्यक्ष के लिए चेहरों की तलाश भी तेज हो गई है। सूत्रों की माने तो गांधी परिवार के विश्वासपात्र सुशील कुमार शिंदे का नाम सबसे ऊपर है। वैसे मल्लिकार्जुन खडग़े का भी नाम चल रहा है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक शिंदे पर दांव लगाने के पीछे दो अहम कारण माने जा रहे हैं। एक तो शिंदे गांधी परिवार के बेहद करीबी और विश्वासपात्र माने जाते हैं। दूसरा वे दलित समुदाय से आते हैं। पार्टी को लगता है कि इससे दलितों का भरोसा खो चुकी पार्टी को इसका फायदा मिलेगा। शिंदे को उपराष्ट्रपति पद पर भी पार्टी चुनाव लड़ा चुकी है, हालांकि वह एनडीए प्रत्याशी से हार गए थे। इसके बाद केंद्र में उन्हें ऊर्जा मंत्री बनाया और बाद में गृहमंत्री जैसे अहम विभाग की भी जिम्मेदारी दी थी। 

कुछ मीडिया रिपोर्ट पर भरोसा करें तो यूपीए चेयरपरसन सोनिया गांधी ने शिंदे से इस बारे में बात की है। पार्टी के दूसरे प्रमुख दलित चेहरा मल्लिकार्जुन खडग़े का भी नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चर्चा में है। सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने शिंदे और खडग़े के नाम पर तब विचार शुरू किया, जब एके एंटनी ने स्वास्थ्य कारणों से केसी वेणुगोपाल ने अपनी अन्य दायित्वों की व्यस्तता बताते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का ऑफर ठुकरा दिया। अब भी पार्टी का एक बड़ा धड़ा है जो किसी भी तरह से राहुल गांधी को अपने पद पर बने रहने के लिए मनाने की कोशिशों में लगा है। इसके लिए अब तक डेढ़ सौ से ज्यादा पदाधिकारी इस्तीफा दे चुके हैं और इस्तीफे अभी आ रहे हैं। बीते रोज कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह, मध्य प्रदेश के कमलनाथ, छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल, राजस्थान के अशोक गहलोत और पुडूचेरी के वी. नारायणसामी ने भी राहुल गांधी से मिलकर उन्हें मनाने की कोशिश की।



खबर यह भी है कि इस मुलाकात के दौरान ही मध्य प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों ने अपना पद छोडऩे की भी पेशकश की थी। लेकिन राहुल हैं कि मानने को तैयार नहीं। इधर, अपने फैसले पर अड़े राहुल गांधी एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी पार्टी और संगठन संबंधी कोई निर्णय नहीं ले रहे हैं। पार्टी के भीतर एक अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। जबकि अगले कुछ महीनों में चार प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसकी तैयारी और रणनीति पर काम होना है। साथ ही यूपी की 12 विधानसभाओं पर उपचुनाव होने हैं, जिनके लिए पार्टी का प्रत्याशी तय करने के साथ ही चुनाव की बाकी सभी तैयारियां करनी है। 

Anil dev

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