ऑफ द रिकॉर्डः कांग्रेस पूछ रही न ही भाजपा, ‘इधर के रहे न उधर के रहे बागी’

Wednesday, Mar 10, 2021 - 05:45 AM (IST)

नई दिल्लीः एक तरफ राहुल गांधी अपनी दुनिया में मग्न हैं और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से अधिक संपर्क में नहीं हैं, ऐसे में पार्टी के बागी नेता दोराहे पर खड़े हैं। जम्मू में भगवा पगडिय़ां पहनकर शक्ति प्रदर्शन में कांग्रेस पर तीखा हमला बोलने के बाद उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे अब आगे क्या करें। गुलाम नबी आजाद ने तो लक्ष्मण रेखा पार करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सार्वजनिक रूप से तारीफ करके बाकी कांग्रेसी नेताओं को परेशानी में डाल दिया। 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी व अन्य ने इस उधेड़बुन से निकलने के लिए यह घोषणा की है कि वे 5 चुनावी राज्यों में कांग्रेस की जीत के लिए प्रचार करेंगे परंतु इन राज्यों में कांग्रेस की जनसभाओं में उन्हें कोई भी नहीं बुला रहा। इस तरह उनके पास अब कोई काम करने को नहीं है। 

जी-23 के बागी नेता पहले इस बात के लिए लड़ रहे थे कि पार्टी का पूर्णकालिक अध्यक्ष होना चाहिए, चाहे वह राहुल गांधी ही क्यों न हों परंतु अब वह मांग भी नहीं रही। अब आनंद शर्मा भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ नई योजना पर काम कर रहे हैं। इन दोनों में फिर से मुलाकात हुई है जबकि कांग्रेसी नेताओं विशेष रूप से शशि थरूर, वायलार रवि आदि ने बागियों की गतिविधियों से दूरी बना ली है। बागियों को पूरा भरोसा है कि केरल व पुड्डुचेरी समेत 5 चुनावी राज्यों में कांग्रेस का पत्ता साफ हो जाएगा, इसलिए वे अपने गोला-बारूद के साथ शांत बैठ गए हैं। वे नहीं चाहते कि पार्टी की हार का ठीकरा उनके सिर पर फूटे। 

भाजपा आनंद शर्मा व कई अन्य बागियों को अपने साथ लाने में रुचि दिखा रही थी परंतु अब वह बात भी नहीं रही क्योंकि भाजपा को लगता है कि आनंद शर्मा न तो अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में और न ही किसी और राज्य में पार्टी के लिए वोट खींच पाएंगे। वैसे भाजपा गुलाम नबी आजाद को जरूर अपने साथ मिलाना चाहती है और आने वाले महीनों में वह उनकी सेवाएं इस्तेमाल करने के लिए कोई रास्ता निकाल सकती है। फिलहाल, बेचारे बागी इधर के रहे न उधर के रहे।  

Pardeep

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