सोनिया-राहुल से नजदीकी की कोशिश में ममता बनर्जी

Wednesday, Dec 14, 2016 - 10:59 AM (IST)

कोलकाता: सिंगूर में टाटा नैनो फैक्टरी के खिलाफ किए गए विरोध ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को न केवल कोलकाता और इसके पड़ोसी जिलों का बल्कि पूरे पश्चिम बंगाल का नेता बना दिया है और राज्य में 34 साल के वाममोर्चे की सत्ता को भी खत्म कर दिया। लगभग एक दशक बाद ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी घोषणा के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है। इससे ममता ने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए खुद को राष्ट्रीय नेता के रूप में दर्शाना शुरू कर दिया है। 

ममता ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी समर्थन दिया और ऐसी सम्भावना है कि इससे बंगाल में कांग्रेस और माकपा का गठबंधन खत्म हो जाएगा। अगर उनके कुछ सहायकों की बात पर विश्वास किया जाए तो 2019 के चुनावों के लिए ममता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के निकट होने जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 8 नवम्बर को रात 8 बजे राष्ट्र के नाम संदेश की समाप्ति के साथ ही ममता ने नोटबंदी के फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया। क्या वह महसूस करती थीं कि इस घोषणा का विरोध करने का राजनीतिक असर होगा?

उनकी पार्टी के एक सांसद के अनुसार ममता ने तृणमूल के मामले उठाने शुरू कर दिए और विपक्ष में अपना स्थान बनाना शुरू कर दिया। ममता विशेषकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का साथ प्राप्त करना चाहती थीं। अन्य राजनीतिज्ञ अभी भी नोटबंदी के विरोध बारे सोचते हैं। ममता लगातार अपने पार्टी नेताओं को फोन पर निर्देश दे रही हैं कि वे प्रमुख विपक्षी नेताओं के साथ सम्पर्क बनाकर उनको इस घोषणा पर विरोध करने के लिए राजी करें। भीतरी सूत्रों के अनुसार ममता ने किसी अर्थशास्त्री या अन्य पार्टी के नेताओं के साथ सलाह-मशविरा नहीं किया। उनको इस बात की जरूरत भी नहीं थी। उनको विश्वास है कि उनका राजनीतिक फैसला सही है क्योंकि नोटबंदी से गरीब बर्बाद हो जाएंगे और उनकी बात सही साबित होगी। 
 

तृणमूल कांग्रेस के नेता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के प्रमुख नेतृत्व और अन्य नेताओं के साथ सम्पर्क में व्यस्त रहे। ममता ने उस रात 9.46 बजे 6 ट्वीट कर इस फैसले की आलोचना की थी। ट्वीट्स में ममता ने कहा कि मैं काले धन, भ्रष्टाचार के  खिलाफ हूं। ममता ने ट्वीट कर मोदी पर आरोप लगाया कि काला धन लाने में अपनी नाकामी को छिपाने के लिए प्रधानमंत्री ने यह ड्रामा किया है। उन्होंने इस फैसले को आम जनता के लिए एक बड़ा झटका बताया। उन्होंने मोदी से मांग की कि वह अपना यह फैसला वापस लें।

जब ममता को मालूम हुआ कि अन्य नेता खासकर नीतीश कुमार और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक नोटबंदी की आलोचना करने के पक्ष में नहीं हैं तो उन्होंने अपने सांसदों से कहा कि पार्टी को उन्हें इसके पक्ष में लाने के लिए समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। वह चाहती थीं कि कांग्रेस इस संबंध में एक बयान जारी करे और कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल ने इस मामले को गम्भीरता से उठाया। वह अभी तक मोदी पर लगातार हमले बोल रहे हैं। ममता ने नोटबंदी के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ करीबी रिश्ता बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। ममता ने मोदी की विपक्षी दलों की ईमानदारी पर शक करने के लिए आलोचना की।

Advertising