शहरों के नाम बदलने को लेकर भाजपा, विपक्ष के बीच आरोप प्रत्यारोप

Tuesday, Nov 13, 2018 - 12:43 AM (IST)

नई दिल्ली: शहरों के नाम बदलने के मुद्दे पर सोमवार को जुबानी जंग छिड़ गई, भाजपा ने यह कहते हुए नाम बदलने का बचाव किया कि यह वर्तमान पीढ़ी को देश के गौरवशाली अतीत से जोडऩे का एक प्रयास है जबकि विपक्ष ने इसे ‘लोकतंत्र के लिए खतरा’ बताया। अधिकारियों के अनुसार भाजपा नीत केंद्र ने पिछले एक वर्ष में देशभर में कम से कम 25 नगरों और गांवों के नाम बदलने को मंजूरी दी है। भाजपा शासित उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और फैजाबाद इस कड़ी में शामिल नए शहर हैं जिनके नाम बदले गए हैं। 

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘आप (भाजपा) भारत के गौरव को नहीं समझते, आप उसकी पहचान को नहीं समझते, आप उसके चरित्र और न ही उसकी परिभाषा को समझते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘आज मैं पिछले 500 वर्षों का इतिहास बदलूंगा, कल आप उसके पहले के 500 वर्ष का इतिहास बदलकर मेरा इतिहास बदलेंगे। उसके बाद एक तीसरा व्यक्ति आएगा जो पिछले एक हजार वर्षों का इतिहास बदल देगा तथा उसके बाद एक चौथा व्यक्ति आएगा जो प्राचीन भारत के 2500 वर्षों का इतिहास बदलेगा।’

उन्होंने कहा कि यदि ऐसे कदमों से जीडीपी बढ़े, देश में समृद्धि आए और देश आगे बढ़े तो इसकी अनुमति दी जा सकती है। भाजपा प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि शहरों के नाम बदलने का प्रस्ताव प्रतीकात्मक नहीं बल्कि इसका एक बड़ा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। उन्होंने कहा, ‘यह आज की पीढ़ी को हमारे गौरवशाली अतीत से जोडऩे का एक प्रयास है।’

राजद प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि भाजपा की राज्य सरकारों और मोदी सरकार के पास नाम बदलने के अलावा अन्य कोई काम नहीं है और ‘लोकतंत्र को समाप्त किया जा रहा है।’ सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने मुद्दे पर भाजपा सरकार की आलोचना की और कहा कि उसने यह सोचना शुरू कर दिया है कि नाम बदलना ही उसका असली काम है। यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए एक खतरा है। जनता देख रही है और भाजपा को आने वाले चुनाव में एक उचित जवाब मिलेगा।     

वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ‘नाम बदलने की होड़’ को लेकर निशाना साधा और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर यह कहते हुए हमला किया कि उनके उपनाम एक फारसी शब्द है और जानना चाहा कि क्या उसे बदला जाएगा। हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा, ‘शाह एक फारसी शब्द है क्या वे उसे बदलेंगे या नहीं नहीं पता।’

shukdev

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