ज्योतिष पर काफी भरोसा करती थी जयललिता, कोई भी फैसला लेने से पहले दिखाती थीं पंचांग!

Tuesday, Dec 06, 2016 - 05:54 PM (IST)

चेन्नई: जयललिता भले ही इस दुनिया से हमेशा के लिए विदा हो चुकी हैं लेकिन वे हमेशा अपने समर्थकों के दिलों में जिंदा रहेंगी। अम्मा अपनी दिलचस्प आदतों की वजह से हमेशा ही मशहूर रही हैं। अम्मा को अपनी एक खास कुर्सी से बेहद लगाव था और वे उसी पर ही बैठती थीं, यहां तक कि जब वे दिल्ली आतीं, तब उनके पीछे उनकी वह कुर्सी भी लाई जाती। हरी साड़ी पहनना उन्हें बहुत अच्छा लगता था। उनके इन सारे शौक के पीछे ज्योतिषीय गणनाओं का भी बहुत बड़ा हाथ था। दरअसल अम्मा ज्योतिष विद्या पर बहुत यकीन करती थीं। कहते हैं कि जब 1999 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से उन्होंने समर्थन वापस लिया, तो उस फैसले के पीछे राजनैतिक मतभेदों के साथ-साथ ज्योतिष गणनाओं का भी बहुत बड़ा हाथ था।

समर्थन वापसी की घोषणा से पहले जयललिता ने किसी से भी मिलने से इनकार कर दिया था। उनके ज्योतिषियों ने उन्हें बताया था कि उनकी कुंडली का चंद्रमा आंठवें घर में है और यह उनके लिए अशुभ हो सकता है। ऐसे में जयललिता कई घंटे तक होटल के अपने कमरे में बंद रहीं और किसी से भी नहीं मिलीं। इतना ही नहीं, वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस लेते हुए उन्होंने राजनैतिक जोड़-घटाव तो किया ही, साथ ही ज्योतिषियों से भी सलाह ली। माना जाता है कि उनके ज्योतिष ने समर्थन वापसी की घोषणा का समय भी बता दिया था। बिना ज्योतिषों की सलाह लिए वे न कोई योजना बनाती थीं और न ही कोई फैसला लेती थीं। पंचांग से मुहूर्त निकाले बिना शायद ही उन्होंने कोई फैसला लिया हो। योजना का क्या नाम होना चाहिए, इसे कब लॉन्च किया जाना चाहिए, जैसे फैसले पंचांग से मुहूर्त निकाले बिना पूरे नहीं होते थे।

नाम में किया बदलाव
साल 2011 में उन्होंने अपने नाम में एक अतिरिक्त A जोड़ा था। कहते हैं कि उन्होंने मन्नत मांगी थी। फिर जब वह चुनाव जीतकर सत्ता में आईं, तो उन्होंने अपने नाम के अंत में एक और A जोड़ लिया। पहले उनके नाम में Jayalalitha 11 अक्षर थे, एक और A जुड़ जाने के बाद 12 अक्षर हो गए। अपने जन्म के ग्रहों और कुंडली को ध्यान में रखते हुए वह 5 और 7 को अपना भाग्यशाली अंक मानती थीं। संयोग देखिए कि उनके निधन की तारीख भी 5 ही रही। और रात 11:30 उन्होंने अंतिम सांस ली।

इसलिए शाम 4.30 के बाद होगा अंतिम संस्कार
अम्मा का अंतिम संस्कार का समय भी पंचांग के हिसाब से तय किया गया है। मंगलवार दोपहर 3.30 से लेकर अपराह्न के 4.30 तक राहू काल है। इस अवधि में कोई काम नहीं किया जाना चाहिए। यही वजह है कि उनकी अंतिम यात्रा शुरू करने का समय भी 4.30 के बाद ही तय किया गया है।

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