सीजेआई ने उभरते वकीलों, न्यायाधीशों से कहा, अंतर्कलह से न हों प्रभावित
punjabkesari.in Saturday, Aug 04, 2018 - 06:54 PM (IST)
नई दिल्लीः प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने उभरते वकीलों और न्यायाधीशों से आज कहा कि वे अंतर्कलह और ध्यान भटकाने वाली बातों से प्रभावित नहीं हों और ऐसी स्थिति से साहसपूर्वक निपटें। वह यहां राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह के मौके पर विधि छात्रों को संबोधित कर रहे थे।
सीजेआई ने छात्रों से कहा, ‘‘आपको अंतर्कलह और भटकाव से प्रभावित नहीं होने का रवैया विकसित करने की जरूरत है। दृढ़ और साहसी बने रहें।’’ उन्होंने कहा कि उभरते हुए वकीलों के लिये विभिन्न सामाजिक विविधताओं के गुप्त प्रभावों और समाज को बांटने वाली असमानताओं से परिचित होना महत्वपूर्ण है। जस्टिस मिश्रा ने कहा, ‘‘जब तक आप ऐसा नहीं करते, आप वकील या एक प्रशासक के तौर पर अपनी भूमिका में परिपक्व होना कठिन पाएंगे--सामाजिक यथार्थों की व्यापक और व्यावहारिक समझ के बिना आप कानून और सामाजिक प्रभावों को एक-दूसरे से जोडऩे में सक्षम नहीं हो पाएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जन कल्याण सर्वोच्च कानून है।’’
लोगों का कल्याण सर्वोच्च कानून
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आप समान अधिकार, स्वतंत्रता और न्याय के अभियान में बदलाव के योद्धा हैं। आप लोगों को न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया में योगदान करने वाला बनने जा रहे हैं। वकील के तौर पर हमेशा अपनी तरफ से कुछ समय वंचितों की भलाई के लिये सर्मिपत करें ... लोगों का कल्याण सर्वोच्च कानून है।’’ उन्होंने कहा, समाज के वंचित वर्गों को लेकर अपने पेशे में आगे बढऩे से आपको संतुष्टि की भावना मिलेगी... जो कहीं अधिक बड़ी उपलब्धि होगी।
जस्टिस दीपक मिश्रा ने छात्रों से विधि के हॉल ऑफ फेम में प्रवेश करने के लिए उच्च महत्वाकांक्षा रखने और अपने सपनों को वास्तविकता में बदलने के लिए काफी साहस रखने को कहा। उन्होंने कहा कि आपको विचारों की स्पष्टता का गुण और बौद्धिक शक्ति पैदा करनी चाहिए। ये मुख्य गुण हैं जिसे उभरते वकीलों को हासिल करने का अवश्य प्रयास करना चाहिए।