भारत के असम राज्य में रह रहे 20 लाख लोगों की नागरिकता खतरे में : रिपोर्ट

Wednesday, Nov 20, 2019 - 03:10 PM (IST)

 वाशिंगटनः अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF ) ने राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (NRC) प्रक्रिया पर चिंता जताते हुए मंगलवार को कहा कि असम में लंबे समय से रह रहे करीब 20 लाख लोगों की नागरिकता खतरे में है और जल्द ही ये कहीं के भी नागरिक नहीं रहेंगे। साथ ही आरोप लगाया कि उनकी नागरिकता ‘‘निष्पक्ष, पारदर्शी और सुशासित प्रक्रिया के बिना'' समाप्त की जा रही है।

MRC के धार्मिक स्वतंत्रता निहितार्थ पर एक रिपोर्ट में USCIRF ने कहा कि अद्यतन सूची में 19 लाख से अधिक लोगों के नाम नहीं हैं। रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई कि किस प्रकार से इस पूरी प्रक्रिया का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। USCIRF आयुक्त अनुरिमा भार्गव ने इस मुद्दे पर कांग्रेशनल आयोग के समक्ष इस सप्ताह अपनी गवाही में कहा, ‘‘असम में लंबे समय से रह रहे करीब 20 लाख लोग जल्द ही किसी भी देश के नागरिक नहीं माने जाएंगे। उनकी नागरिकता निष्पक्ष, पारदर्शी और सुशासित प्रक्रिया के बिना'' समाप्त की जा रही है।''

भार्गव ने कहा, ‘‘इससे भी बुरा यह है कि भारतीय राजनीतिक अधिकारियों ने असम में मुसलमानों को अलग थलग करने और वहां से बाहर निकालने के लिए NRC प्रक्रिया का इस्तेमाल करने की अपनी मंशा लगातार दोहराई है। और अब भारत भर में नेता एनआरसी का दायरा बढ़ा कर सभी मुसलमानों के लिए भिन्न नागरिकता मानक लागू करने पर विचार कर रहे हैं।''

USCIR प्रमुख टोनी पेर्किन्स ने कहा कि अद्यतन एनआरसी और भारत सरकार के इसके बाद के कदम मुसलमान समुदाय को निशाना बनाने के लिए एक प्रकार से ‘‘नागरिकता के लिए एक धार्मिक कसौटी'' तैयार कर रहे हैं। उन्होंने भारत सरकार से उसके सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की अपील की जो संविधान में दर्ज हैं।

Tanuja

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