चाचा पारस के मंत्री बनते ही चिराग पहुंचे हाईकोर्ट, लोकसभा स्पीकर के फैसले को दी चुनौती

Wednesday, Jul 07, 2021 - 10:50 PM (IST)

नई दिल्लीः लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के एक धड़े के नेता चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को सदन में पार्टी के नेता (एलओपी) के रूप में मान्यता देने संबंधी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रूख किया। चिराग ने ट्वीट किया कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष के प्रारम्भिक फैसले, जिसमें पार्टी से निष्कासित सांसद पशुपति पारस जी को लोजपा का नेता सदन माना था, के फैसले के खिलाफ आज दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है। 

अधिवक्ता अरविंद बाजपेयी ने कहा कि उन्होंने चिराग पासवान और लोक जनशक्ति पार्टी की ओर से अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की है। उन्होंने कहा कि निर्णय की समीक्षा अध्यक्ष के पास लंबित है और स्मरण कराये जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। वकील ने कहा कि याचिका अभी जांच के दायरे में है। 

बुधवार को केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले पारस ने अपने राजनीतिक जीवन का अधिकतर समय अपने भाई दिवंगत रामविलास पासवान की छत्रछाया में बिताया था। याचिका में लोकसभा में जन लोकशक्ति पार्टी के नेता के रूप में पारस का नाम दिखाने वाले अध्यक्ष के 14 जून के परिपत्र को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। इसमें यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि चिराग पासवान का नाम सदन में पार्टी के नेता के रूप में दिखाते हुए एक शुद्धिपत्र जारी किया जाए। 

याचिका में कहा गया है, ‘‘लोकसभा में नेता का परिवर्तन पार्टी विशेष का विशेषाधिकार है और वर्तमान मामले में, संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत याचिकाकर्ता संख्या 2 (पार्टी) को यह अधिकार प्राप्त होता है कि केंद्रीय संसदीय बोर्ड यह तय करेगा कि सदन या विधानसभा में नेता, मुख्य सचेतक आदि कौन होगा।'' पारस पूर्व में लोजपा की बिहार इकाई का नेतृत्व करते थे और वर्तमान में इसके अलग हुए गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। पारस ने 1978 में अपने पैतृक जिले खगड़िया के अलौली विधानसभा क्षेत्र से जनता पार्टी के विधायक के रूप में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। इस सीट का प्रतिनिधित्व पहले दिवंगत रामविलास पासवान करते थे। 

Pardeep

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