ऑफ द रिकॉर्डः पिता रामविलास के न होने से चिराग पासवान के सामने बड़ी चुनौती

Wednesday, Oct 21, 2020 - 05:37 AM (IST)

नई दिल्लीः केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ऐसे समय में इस संसार से विदा हुए जब उनका पुत्र चिराग पासवान एक बड़े राजनीतिक भंवर में फंसा हुआ है। चिराग के पिता रामविलास ने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में कई बार बड़े जुए खेले और भाग्य ने हर बार उनका साथ दिया। वह एक ऐसे अचूक ‘राजनीतिक मौसम विज्ञानी’ थे कि लोकसभा चुनावों से पहले वह जिस भी गठबंधन के साथ जुड़ते थे, विजय उनके चरणों में होती थी। 

अब सबकी आंखें चिराग पासवान पर लगी हुई हैं जिन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत में पहला बड़ा राजनीतिक जुआ खेला है। इस समय उन्हें सही दिशा दिखाने वाले उनके मित्र समान पिता उनके साथ नहीं हैं। कोई नहीं जानता कि भविष्य के गर्भ में उनके लिए क्या रखा है? 

यह तय है कि रामविलास पासवान की मृत्यु के कारण उन्हें सहानुभूति का लाभ मिलेगा और वह नीतीश कुमार के जनता दल (यू) की वोटें काटेंगे। 2015 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भाजपा के साथ 42 सीटों पर लड़ी थी। वह मुश्किल से 2 सीटें जीत पाई थी और उसे 4.38 प्रतिशत वोट मिले थे। चुनावी जानकार मानते हैं कि चिराग की लोजपा जदयू को कम से कम 25 सीटों पर नुक्सान पहुंचाएगी। इससे भाजपा बिहार में अकेली सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आ सकती है। 

जानकारों के अनुसार जदयू 45 सीटों के आसपास ही सीमित रह जाएगी। लोजपा को नीतीश विरोधी वोट मिलेंगे जो अन्य परिस्थिति में राजद-कांग्रेस गठबंधन को चले जाने वाले थे। भाजपा चिराग को एक मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रही है। सब ठीक रहता है तो क्या भाजपा चिराग को ईनाम देगी? कोई नहीं जानता। चुनाव के बाद क्या रामविलास पासवान की पत्नी रीना को भाजपा राज्यसभा भेजेगी और चिराग को कोई केंद्रीय मंत्रालय दिया जाएगा? कोई नहीं जानता कि प्रधानमंत्री के दिमाग में क्या पक रहा है?

Pardeep

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