भारत की इन 5 उपलब्धियों से डरा चीन!

Wednesday, Mar 08, 2017 - 02:19 PM (IST)

नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति के आधार पर चीन को काफी सशक्त माना जाता है लेकिन इन सबके बावजूद पड़ोसी देश भारत की कई उपलब्धियों से डरा हुआ है। दरअसल बीते कुछ वर्षों में जिस तरह भारत ने विदेशी निवेश आकर्षित करने और टैक्नोलॉजी और मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं वह चीन के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही हैं। इसके अलावा भारत का अमेरिका के साथ लगातार मजबूत होता सैन्य रिश्ता भी चीन की परेशानी को बढ़ा रहा है। भारत की इन उपलब्धियों के चलते चीन सरकार को समझ आ रहा है कि आने वाले दिनों में यदि वह भारत से संबंध अच्छे नहीं करता तो उसे भारत के रूप में एक बड़ी शक्ति का सामना करना पड़ सकता है।

विदेशी निवेश में पीछे छूटा चीन
भारत ने चीन को 2015 में पहली बार विदेशी निवेश के मामले में पीछे छोड़ दिया था। जहां भारत को 63 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मिला था वहीं चीन को महज 56 बिलियन और अमेरिका को महज 59 बिलियन डॉलर मिला था। इन आंकड़ों के बाद चीन ने मेड इन चीन 2025 कार्यक्रम के तहत विदेशी निवेशकों को घरेलू निवेशक जैसे अधिकार देने का ऐलान किया था। चीन भारत की मेक इन इंडिया और ईज ऑफ डुईंग बिजनेस जैसे भारतीय कार्यक्रमों से भी डरा हुआ है।

भारत बना मैन्यूफैक्चरिंग हब
भारत सरकार ने दो साल से मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत को दुनिया का मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने का प्रयास किया है। इसके चलते दुनियाभर से की कंपनियों ने डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग से लेकर फार्मा और मोबाइल से लेकर ऑटो मैन्यूफैक्चरिंग में भारत का रुख करने में अपना फायदा बताया है। चीन को डर है कि भारत की यह कोशिशें रंग लाईं तो ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग हब का उसका कीर्तिमान भी भारत के नाम हो जाएगा।

टेक्नोलॉजी एंड साइंस टैलेंट
चीन सरकार भी अब इस बात को मान रही है कि बीते कई दशकों में भारत ने साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं और इसका ताजा उदाहरण इसरो द्वारा एक साथ 104 सैटेलाइट को लॉन्च करना है।

अमेरिका के साथ भारत के बढ़ते संबंध
बारक ओबामा के समय से ही भारत और अमेरिका के बीच संबंध काफी सुदृढ़ हो गए थे। दोनों देशों के बीच 2015 में अपनी सेनाओं द्वारा लॉजिस्टिकल सपोर्ट, सप्लाई और सेवाओं के आदान-प्रदान पर समझौता करते हुए इसे अमलीजामा पहनाया और इसे संचालित करने के लिए फ्रेमवर्क को स्थापित किया। ऐसे में चीन के लिए अमेरिका और भारत के संबंध परेशानी का सबब बन सकते हैं।

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