राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने चीनी जासूसी जहाज के श्रीलंका आने पर तोड़ी चुप्पी
Tuesday, Sep 27, 2022 - 03:20 PM (IST)
कोलंबो: राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने चीनी जासूसी जहाज युआन वांग 5 श्रीलंका आने के मुद्दे पर पहली बार चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि चीनी जासूसी जहाज को हंबनटोटा में रुकने की अनुमति देना कठिन निर्णय था। डिफेंस वेबसाइट स्ट्रैटन्यूज ग्लोबल को दिए इंटरव्यू में रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि हंबनटोटा कोई सैन्य बंदरगाह नहीं है। चीनी जहाज को हंबनटोटा आने की अनुमति गोटबाया राजपक्षे के कार्यकाल में दी गई थी। वह एक रिसर्च शिप के तौर पर आ रहा था। इसलिए हमने इसकी अनुमति दी थी।
अगर हम अपने निर्णय को बदलने के लिए किसी आधार की जरूरत थी और हमें ऐसा कोई आधार नहीं मिला और हम इसे लेकर कोई बहस में नहीं पड़ना चाहते थे, जो हम हार जाएं। चीनी जहाज ने हंबनटोटा पहुंचने में कुछ देरी भी की। हमें कोई भी कारण नहीं मिला, जिससे जहाज को आने की अनुमति रद्द की जा सके, भारत ने भी कोई कारण नहीं दिया। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि इस जहाज को हंबनटोटा आने की अनुमति देने का निर्णय तब लिया गया था, जब गोटबाया राजपक्षे राष्ट्रपति थे। उन्होंने कहा कि श्रीलंकाई सरकार को उस निर्णय को उलटने का कोई आधार नहीं मिला।
भारत ने चीन के युआन वांग 5 जहाज के हंबनटोटा आने पर आपत्ति जाहिर की थी। जिसके बाद श्रीलंका ने चीनी जहाज के पहुंचने के समय को कुछ दिनों के लिए बढ़ा दिया था। चीन का यह जहाज दुश्मन देशों के हवाई सीमा में सैकड़ों किलोमीटर अंदर तक जासूसी कर सकता है। इतना ही नहीं, यह जहाज बैलिस्टिक मिसाइल और सैटेलाइट को भी ट्रैक कर सकता है।
उन्होंने कहा कि चीन ने हमें आश्वासन दिया था कि वह श्रीलंकाई जलक्षेत्र में कोई काम नहीं करेगा। लेकिन यह हमारे क्षेत्र की बात है, उसके बाहर अगर वे भारत की जासूसी करना चाहें तो वे कर सकते हैं। इसलिए हम सिर्फ इसका आश्वासन दे सकते थे कि हमारे जल क्षेत्र में भारत के खिलाफ कोई गतिविधि नहीं होगी। इसलिए हमने चीनी जहाज को अनुमति दी। हम गैर सैन्य जहाजों को फिर से क्लासिफाई करने के बारे में भी सोच रहे हैं। समस्या यह है कि किसी असैन्य जहाज का इस्तेमाल भी सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। क्रूज लाइनर से सैनिकों को लेकर जाया जा सकता है।